BNP NEWS DESK। minority hindus बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भी वहां के हालात विशेषकर अल्पसंख्यक समुदायों और मदिरों पर निशाना बनाए जाने पर भारत ने अपनी गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अभी वहां की स्थिति में उतार-चढ़ाव जारी है।
मंगलवार की सुबह ही सभी दलों को भरोसा में लेने के बाद विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश घटनाक्रम पर संसद के दोनों सदनों में भारत का पहला आधिकारिक बयान देते हुए कहा कि ढाका के अधिकारियों के साथ नई दिल्ली निरंतर संपर्क में है ।
अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गहरी चिंता
minority hindus अल्पसंख्यकों की स्थिति पर हमारी गहरी चिंता तब तक रहेगी जब तक वहां कानून व्यवस्था बहाल नहीं हो जाती।
विदेशमंत्री ने कहा कि वहां पैदा हुए हालात के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश के सुरक्षा प्रतिष्ठान के नेताओं के साथ बैठक के बाद इस्तीफा देने का फैसला किया और बेदह कम समय में भारत आने के लिए अनुमति मांगी।
सीमाओं पर सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश
भारत ने हसीना के विशेष मिलिट्री विमान को तत्काल हिंडन एयरफोर्स बेस पर उतरने की मंजूरी दी। कठिन वक्त का सामना कर रहीं शेख हसीना को भारत ने अपना नैतिक समर्थन जारी रखने का संदेश देते हुए राजनीतिक शरण लेने के मामले पर अंतिम फैसला लेने तक कहा है कि वे तब तक भारत में रह सकती हैं।विदेशमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश के जटिल हालात के मद्देनजर उससे लगी सीमाओं पर सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है। minority hindus
सुबह की सर्वदलीय बैठक में यह सहमति बन गई थी कि इस समय जो हालात हैं उसमें हसीना को संरक्षण देना जरूरी है। विदेशमंत्री जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में अपनी तरफ से बयान देते हुए कहा जनवरी 2024 में चुनाव के बाद से बांग्लादेश की राजनीति में तनाव, गहरा विभाजन और ध्रुवीकरण बढ़ा है। minority hindus
इस अंतर्निहित नींव को जून में शुरू हुए छात्र आंदोलन ने और बढ़ा दिया और जुलाई महीने तक हिंसा जारी रही। विदेश मंत्री ने कहा कि इस दौरान भारत ने बार-बार संयम बरतने की सलाह दी और आग्रह किया कि बातचीत के जरिए स्थिति को शांत किया जाए। इसी तरह के आग्रह वहां की विभिन्न राजनीतिक ताकतों से किए गए जिनके साथ हम संपर्क में थे।
आरक्षण कोटा विवाद पर तीखे हुए आंदोलन के संबंध में विदेशमंत्री ने कहा कि 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सार्वजनिक आंदोलन में कोई कमी नहीं आई और आंदोलन प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के एक सूत्रीय एजेंडे के इर्द-गिर्द एकजुट हो गया।
चार अगस्त को घटनाओं ने बहुत गंभीर मोड़ ले लिया
विदेशमंत्री ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समूहों और संगठनों द्वारा पहल का स्वागत करते हैं, लेकिन स्वाभाविक रूप से कानून और व्यवस्था के स्पष्ट रूप से बहाल होने तक हम बहुत चिंतित रहेंगे। हमारे सीमा सुरक्षा बलों को भी इस जटिल स्थिति को देखते हुए विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। जयशंकर ने कहा कि चार अगस्त को घटनाओं ने बहुत गंभीर मोड़ ले लिया।
पुलिस थानों और सरकारी प्रतिष्ठानों सहित पुलिस पर हमले तेज हो गए। पूरे देश में शासन से जुड़े व्यक्तियों की संपत्तियों को आग लगा दी गई। विशेष रूप से चिंताजनक बात यह थी कि अल्पसंख्यकों, उनके व्यवसायों और मंदिरों पर भी कई स्थानों पर हमला किया गया। इसका पूरा दायरा अभी भी स्पष्ट नहीं है। पांच अगस्त को कफ्र्यू के बावजूद प्रदर्शनकारी ढाका में एकत्र हुए।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट रूप से इस्तीफा देने का फैसला किया
हमारी समझ यह है कि सुरक्षा प्रतिष्ठान के नेताओं के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट रूप से इस्तीफा देने का फैसला किया। बहुत कम समय में उन्होंने भारत आने के लिए मंजूरी मांगी। हमें उसी समय बांग्लादेश के अधिकारियों से उड़ान की मंजूरी के लिए अनुरोध प्राप्त हुआ।
वे सोमवार शाम दिल्ली पहुंच गईं। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश में उभर रहे हालात के बीच सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने पांच अगस्त को राष्ट्र को संबोधित करते हुए जिम्मेदारी संभालने और अंतरिम सरकार के गठन के बारे में बात की।
जयशंकर ने कहा कि हम अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निकट और निरंतर संपर्क में हैं। वहां अनुमानित 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से लगभग 9,000 छात्र हैं। उच्चायोग की सलाह पर जुलाई के महीने में अधिकांश छात्र पहले ही भारत लौट चुके हैं।
विदेशमंत्री ने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि मेजबान सरकार भारत के वहां स्थित राजनयिक प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक सुरक्षा प्रदान करेगी। विदेशमंत्री के बयान के बाद उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि भारत ने बांग्लादेश में रह रहे 10,000 से अधिक भारतीयों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए ढाका के नए शासन तंत्र से संपर्क किया है।
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बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भी वहां के हालात विशेषकर अल्पसंख्यक समुदायों और मदिरों पर निशाना बनाए जाने पर भारत ने अपनी गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अभी वहां की स्थिति में उतार-चढ़ाव जारी है।
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