BNP NEWS DESK। Manchinese rice वाराणसी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी ही नहीं है। इस क्षेत्र की हर चीज अनूठी और खासियत भरी है। इसमें से एक है आदमचीनी चावल। स्वाद और सुगंध में विशेष आदमचीनी चावल का स्वाद लोगों के जुबान को धीरे-धीरे अपना मुरीद बना रहा है। वाराणसी मंडल के छह जिलों में पैदा होने वाले आदमचीनी चावल को जीआइ टैग मिल चुका है।
Manchinese rice इसके बाद आदमचीनी चावल की मांग देश में बढ़ने लगी है। किसान इसकी खुशबू और स्वाद सात समुंदर पार तक पहुंचाने के लिए आतुर हैं। इंडिया एक्सपो सेंटर में आयोजित यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आदमचीनी चावल का भी स्टाल लगाया गया है।
आदमचीनी चावल वाराणसी और उसके आसपास के जिले चंदौली, मीरजापुर, सोनभद्र, गाजीपुर व बलिया में पैदा होता है। स्वाद व खुशबू के कारण लोग इसे अभी तक अपनी जरूरत के लिए उपजाते थे। इस प्रजाति के बीज संरक्षण के लिए किसानों ने प्रयास शुरू किए। इसकी शुरुआत 2015 में बीएचयू में हुए एक कार्यक्रम से हुई।
इसमें शामिल हुए अग्रणी किसान अजय कुमार सिंह, छोटे लाल कुशवाह ने फार्मर प्रड्यूसर समूह गठित किया। उन्होंने किसानों को संगठित किया। बीज संरक्षण के बाद आदमचीनी प्रजाति के चावल को जीआइ टैग दिलाने के प्रयास शुरू हुए। तत्कालीन मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने किसानों की मांग पर जीआइ टैग के लिए सभी प्रक्रिया पूरी कराई। प्रयास सफल हुए और आदमचीनी चावल प्रजाति को जीआइ टैग मिल गया।
जैविक तरीके से होती है खेती
आदमचीनी चावल की खेती जैविक तरीक से होती है। खेत में रसायनिक खाद व कीटनाशक के बजाय जैविक खाद, सरसों की खल, नीम की खल, गोबर का खाद आदि का इस्तेमाल किया जाता है। कीटनाशक के लिए नीम के तेल का उपयोग होता है। जैविक तरीके से खेती करने पर उपज पर असर पड़ता है। एक एकड़ में सात से साढ़े सात क्विंटल चावल पैदा होता है। प्रोसेसिंग के बाद साढ़े पांच से छह क्वींटल चावल तैयार होता है। खाने के लिए पकाने में यह बहुत जल्द पक जाता है। इसके दाने काफी छोटे होते हैं।
जून में नर्सरी, जुलाई में रोपाई
आदमचीनी की नर्सरी जून में तैयार होती है। जुलाई में इसकी रोपाई होती है। इसकी फसल को तैयार होने पर 165 दिन का समय लगाता है। जबकि अन्य प्रजाति अधिकतम 140 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं।
बीज बैंक हो रहा तैयार
किसान संगठन आदमचीनी चावल के बीज को संरक्षित करने के लिए इसका बैंक तैयार कर रहे हैं। इसकी पैदावार करने वाले किसानों को यूनीक आइडी दिया गया है। उपज का क्षेत्र भी निर्धारित है। उसके हिसाब से ही उन्हें बीज दिया जाता है। किसान संगठन में सौ से अधिक सदस्य हैं। संगठन ने अपना वित्तीय बैंक भी बनाया है। जिसमें से किसानों को ट्रैक्टर, कृषि उपकरण की खरीद के लिए कम ब्याज में ऋण दिया जाता है।
The Review
Manchinese rice
वाराणसी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी ही नहीं है। इस क्षेत्र की हर चीज अनूठी और खासियत भरी है। इसमें से एक है आदमचीनी चावल।
Discussion about this post