BNP NEWS DESK | Turkey Syria Earthquake तुर्की और सीरिया में आए भयानक भूकंप के बाद बचाव व राहत अभियान जारी है. बचावकर्मी धरती के हिलने से ढही इमारतों के मलबे के नीचे जिंदगी तलाश रहे हैं. जब-जब मलबे के ढेर के नीचे कोई इंसान दिखता है तो बचावकर्मियों के साथ ही आम लोगों के शरीर में भी उत्साह की लहर दौड़ने लगती है.
Turkey Syria Earthquake मलबे के ढेर से निकालने के बाद स्वास्थ्यकर्मी जांच करते हैं कि शख्स की सांसें चल रही हैं या थम गईं. जैसे ही जांच करने वाले के चेहरे पर मुस्कान आती है, सब तरफ पसरी तबाही और बर्बादी के बाद भी लोगों के चेहरे खिल उठते हैं. तुर्कीये और सीरिया में भी अब तक काफी लोगों को जिंदा बचाकर निकाला जा चुका है.
तबाही और फिर जिंदगी को बचाने की जंग, फिर बचाने वालों की जीत और मुस्कराहटों के ऐसे मंजर दुनिया ने पहले भी देखे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोई स्वस्थ व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 7 दिन तक मलबे के नीचे जिंदा रह सकता है. इसी थ्योरी के आधार पर ज्यादातर मामलों में 7 दिन के बाद मलबे में सांसों को तलाशने का सिलसिला बंद कर दिया जाता है. लेकिन, दुनिया में कई बार भूकंप के बाद मलबे में दबे लोगों की जिंदा रहने की चाहत और उनकी जीवटता ने चमत्कार भी गढ़े हैं. अलग-अलग देशों में ऐसे कई मामले हुए हैं, जहां सारी थ्योरीज और परिकल्पनाओं को दरकिनार कर मलबे के नीचे दबे लोग उखड़ती सांसों और टूटते हौसालों के बाद भी 27 दिन तक हालात से जूझते रहे और जिंदा बाहर निकले.
19 साल की रेशमा ने 17 दिन लड़ी जिंदगी की जंग
दुनिया की सबसे भीषण फैक्टरी दुर्घटनाओं में एक बांग्लादेश के राणा प्लाजा में 24 अप्रैल 2013 को हुई थी. इस दुर्घटना में 1138 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 2000 लोग हुए थे. इसी घटना में जिंदा बच निकली 19 साल की रेशमा अख्तर चमत्कार का दूसरा नाम बनकर दुनियाभर में छा गई थी. ये बिल्डिंग 8 मंजिला थी, जो अचानकर भरभराकर मलबे में तब्दील हो गई थी.
बचाव कार्य के दौरान 17 दिन बाद बांग्लादेश सेना के ले. कर्नल मुअज्जम को बेसमेंट के मलबे में एक बड़ा छेद नजर आया. जब वह उसके अंदर गए तो उन्हें टॉर्च की रोशनी में एक सहमी हुई लड़की नजर आई.
धूल में सनी रेशमा अख्तर ने मलबे से बाहर निकलने के एक साल बाद उत्तरी बांग्लादेश के अपने छोटे से गांव में शादी कर ली. इसके बाद उन्होंने एक इंटरनेशनल होटल के वेस्टिन में जॉब शुरू कर दी. तब रेशमा ने बताया था कि उन्होंने राणा प्लाजा में चलने वाली पांच फैक्ट्रियों में से एक में दुर्घटना के 22 दिन पहले काम शुरू किया था.
उन्हें दिन में 10 घंटे काम करने पर महीने के 4,700 टका सैलरी मिलती थी. उन्होंने बताया था कि दुर्घटना के बाद से वह बहुत आध्यात्मिक हो गई हैं. वह नियमित नमाज पढ़ती हैं और कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वालों के साथ ही दुर्घटना में मारे गए लोगों के लिए दुआ करती हैं.
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Turkey Syria Earthquake
तुर्की और सीरिया में आए भयानक भूकंप के बाद बचाव व राहत अभियान जारी है. बचावकर्मी धरती के हिलने से ढही इमारतों के मलबे के नीचे जिंदगी तलाश रहे हैं
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