बीएनपी न्यूज डेस्क। रंगभरी एकादशी के दिन काशीवासियों ने बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेली। सोमवार को सुबह ही बाबा की चल प्रतिमा के पूजन के उपरांत आरती के साथ ही रंगभरी के रंगारंग उत्सव का श्रीगणेश हो गया। राजसी ठाट में देवी पार्वती और गणेश के साथ चिनार और अखरोट की लकड़ी से बनी रजत जड़ित पालकी पर प्रतिष्ठित करके बाबा की चल प्रतिमा काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाई गई। पालकी यात्रा के दौरान इतना गुलाल और अबीर उड़ाया गया कि महंत आवास से मंदिर प्रांगण तक करीब पांच सौ मीटर के बीच जमीन पर अबीर-गुलाल की परत जम गई थी। बाबा का सिंहासन रखने के लिए बिछाई गई हरी कालीन पहले गुलाल की बौछार से लाल हुई फिर भभूत से सफेद हो गई।
इससे पहले महंत डा. कुलपति तिवारी और पं. वाचस्पति तिवारी ने बाबा की विधानपूर्वक आरती उतारी। खादी का शाही कुर्ता धोती धारण किए बाबा के मस्तक पर बनारस की गंगा जमुनी तहजीब रेशमी पगड़ी के रूप में इठला रही थी। बरसाने के लहंगे और आभूषणों में देवी पार्वती का शृंगार संजीव रत्न मिश्र ने किया। शृंगार और भोग आरती के बाद महंत आवास विशेष कक्ष में बाबा के शृंगार का दर्शन भक्तों के लिए खोला गया। जैसे-जैसे सूर्य अस्ताचल की ओर बढ़ रहे थे वैसे वैसे भक्तों का उत्साह कैलाश पर्वत सी ऊंचाई प्राप्त कर रहा था। दर्शन पूजन का क्रम सायं पांच बजे तक अबाध रूप से जारी रहा। ऐसी भी स्थिति आई जब एक तरफ बाबा की रजत पालकी उठाने की तैयारी हो रही थी और दूसरी ओर भक्तों का रेला बाबा के दर्शन के लिए महंत आवास में प्रवेश करने की जद्दोजहद कर रहा था। अत्यधिक भीड़ के कारण भक्तों को अनुरोध पूर्वक रोकना पड़ा। नगर के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले डमरू दल के सदस्यों ने थोड़ी-थोड़ी देर पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। कुछ समय के लिए ऐसा माहौल बन गया मानो समूची काशी ही डमरू निनाद करने उमड़ पड़ी हो। उनका जोश व्यवस्था पर भारी पड़ता दिखा। ऐसे में कुछ समय के लिए सांस्कृतिक अनुष्ठान शिवांजलि को रोकना भी पड़ा। राजशाही स्वरूप में शिवशंकर के दर्शन पाने के लिए हजारों की संख्या में भक्तगण पहुंचे। सांगीतिक अनुष्ठान के दौरान चंदन का बुरादा और फूलों से बनी अबीर की वर्षा भी रह रह कर की जाती रही। भक्तों की हर्ष ध्वनि के बीच शिव-पार्वती की चल रजत प्रतिमा को काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया और गुलाल की बौछार के बीच सप्तऋषि आरती की प्रक्रिया पूरी की गई।
सांस्कृतिक कार्यक्रम शिवांजलि में कलाकारों ने लगाई
रंगभरी एकादशी के पावन अवसर पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर सोमवार को सांगीतिक अनुष्ठान शिवांजलि का आयोजन हुआ।
ख्यात गायिका विदुषी सुचरिता गुप्ता के स्वर में बाबा की पारंपरिक होली सजी। उन्होंने शिव पार्वती के विवाह और गौने का अत्यंत मनोरम शब्दचित्र प्रस्तुत किया। अंतरराष्ट्रीय कलाकार पं. अशोक पांडेय ने स्वतंत्र तबलावादन से काशी विश्वनाथ को नादांजलि दी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी संगीतकार पं. अमित शंकर त्रिवेदी की राग नटभैरव में निबद्ध रचना योगी ने माहौल को योगेश्वर शिव की अनुभूतियों से भर दिया। इसके बाद उन्होंने बगड़ बम बम बगड़ बम बम पर सैकड़ों भक्तों को जमकर नचाया। इस दौरान हर तरफ से रंग बिरंगे अबीर गुलाल और गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा होती रही। गायन वादन के दूसरे चरण में भोजपुरी भक्ति संगीत में अपनी खास पहचान रखने वाले कलाकारों ने भजनांजलि का अर्पण किया। पुनीत पागल बाबा ने अपनी पहचान के अनुरूप प्रस्तुति दी। उनकी रचना पागल पागल पर भक्तों ने जमकर ठुमके लगाए। इसी बीच आकाश और उनके साथियों ने भगवान श्रीकृष्ण राधा और शिव पार्वती की होली पर आधारित नृत्यमय झांकी प्रस्तुत कर भक्तों को भावविभोर कर दिया। आराधना सिंह, सरोज वर्मा, प्रियंका पांडेय, सारिका सेठ, राकेश तिवारी,नीरज पांडेय आदि कलाकारों ने भावपूर्ण भजनों से शिव की होली के अलग-अलग दृश्यों को जीवंत किया। विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने कलाकारों को आशीर्वाद एवं बाबा का स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।
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