बीएनपी न्यूज डेस्क। लता मंगेशकर का काशी खास लगाव रहा है। संगीत तीर्थ काशी के अपने इस संक्षिप्त प्रवास में काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की चरण वंदना के उपरांत लता ने काशी के यशस्वी गुणीजनों की देहरी पर भी हाजिरी लगाई। वे कोकिल कंठा सिद्धेश्वरी देवी को अपना मानस गुरु मानती थीं। जब वे काशी में उनके यहां रूकीं तो उनकी चरण रज लेने के साथ ही उनके अनुरोध पर सिद्धेश्वरी देवी के गुरुदेव पंडित बड़े रामदास महाराज का आशीर्वाद लेने उनके कबीरचौरा आवास पर पहुंचीं और उनके आंगन की धूलि सिर माथे लगाई। उन्हें उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की शहनाई के मिठास की लिज्जत बेहद पसंद थी। बनारस से कोई भी मिलने जाता तो उससे उस्ताद की सेहत के बारे में जरूर पूछतीं। नगर के वयोवृद्ध कला अनुरागियों के अनुसार 1951 में वाराणसी संगीत परिषद के आमंत्रण पर लता जी का काशी आना हुआ था। यह उनकी एक मात्र काशी यात्री थी। यह वह दौर था जब कोरस गायिकाओं की कतार से बाहर निकल कर लता जी अपनी प्रतिभा के बूते सिने जगत मेें एक पार्श्व गायिका के रूप में अपनी हनकदार पहचान कायम कर चुकी थीं।
आवाज से संगीत की दुनिया को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर अब नहीं रहीं। उनका आज 6 फरवरी को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के गाने किसी के भी दिल के तारों को झनकारने के लिए काफी थे लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी अकेले ही गुजारी। बचपन से लेकर 92 वर्ष तक की जिंदगी में उन्होंने हजारों गाने गाए, पूरी दुनिया में अपने प्रशंसक बनाए लेकिन प्रेम के मामले में उनकी जिंदगी क्यों सूनी रही यह सवाल अक्सर ही सभी के दिलों में उठता है।
लता की जिंदगी में प्रेम की दस्तक
लता मंगेशकर पूरी जिंदगी अविवाहित रहीं लेकिन क्या उनकी जिंदगी में कभी प्यार ने दस्तक नहीं दी या उन्हें कभी किसी से प्यार हुआ। ये ऐसे सवाल है जिनके जबाव सभी जानना चाहते हैं. तो सच्चाई यह है कि सुरों की महारानी लता मंगेशकर को भी प्रेम हुआ था, वो बात अलग है कि उनका प्यार शादी का मुकाम हासिल नहीं कर पाया।
महाराजा भी हार बैठे थे दिल
डूंगरपुर के महाराजा, दिवंगत क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह लता मंगेशकर के आगे से दिल हार बैठे थे। यहां तक कि एक बार लता मंगेशकर क्रिकेट देखने स्टेडियम भी गईं। उन्हें भी महाराजा राज सिंह पसंद आए लेकिन उनका प्यार शादी तक नहीं पहुंच पाया. कहा जाता है कि कुछ पारिवारिक कारणों के चलते राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर की शादी नहीं हो पाई थी।
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