BNP NEWS DESK। amrit yoga जनकल्याण, राष्ट्र अभ्युदय की सकल कामना सिद्ध करने के लिए तीर्थराज प्रयाग में यज्ञ-अनुष्ठान चल रहा है। संगम के पवित्र जल में 11 दिनों में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण अमृत (शाही) स्नान पर्व मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है। इस बार अमृत योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। सनातन धर्म के मर्मज्ञों का कहना है- पवित्र बेला में मौन रहकर संगम में स्नान करने से मनोवांछित फल प्राप्त होगा।
श्रवण नक्षत्र अत्यंत कल्याणकारी
amrit yoga ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार माघ कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7.10 बजे लगकर 29 जनवरी की शाम 6.27 बजे तक रहेगी। सूर्य, चंद्र व बुध मकर राशि में संचरण करेंगे। वृष राशि में वृहस्पति रहेंगे। सुबह 8.40 से श्रवण नक्षत्र लग रहा जो अत्यंत कल्याणकारी है। इससे अमृत योग बनेगा। पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार देव व असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला था। कलश से अमृत की बूंदें जहां छलकीं वहीं कुंभ होता है।
तीर्थराज प्रयाग में उसका वृहद स्वरूप महाकुंभ में दिखता है। इस बार मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर वृष राशि में वृहस्पति का संचरण होने से अमृत योग का संयोग बनना अत्यंत दुर्लभ है। जो व्यक्ति सशरीर तीर्थराज प्रयाग आकर संगम स्नान नहीं कर सकते वह मन से करें। आंख बंद कर स्नान करते हुए संगम में डुबकी लगाने की अनुभूति करें। amrit yoga
इससे भी पुण्य की प्राप्ति होगी। स्नान के समय मौन रहना आवश्यक है। धार्मिक मत है कि मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान कर महादेव की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी संकटों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। पितृ एवं कालसर्प दोष का प्रभाव कम या समाप्त हो जाता है। शुभ अवसर पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। अगर आप भी पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो मौनी अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान कर भगवान शिव का अभिषेक करें। अभिषेक के समय शिव जी के नामों का मंत्र जप करें।
मौनी अमावस्या पर यह करें
-स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
-स्नान करते समय कुछ न बोलें।
-जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
-केवल सात्विक भोजन ही करें।
-पितरों का पिंडदान और तर्पण करना चाहिए।
-नाखून और बाल नहीं काटना चाहिए।
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