BNP NEWS DESK। astronomical events यह वर्ष शानदार पुच्छल तारों (धूमकेतुओं) के साथ दर्जनभर दर्शनीय खगोलीय घटनाओं वाला रहेगा। इस वर्ष दो चंद्र व दो सूर्य ग्रहण लगेंगे। साथ ही कई ग्रहों के मिलन को साक्षात देखा जा सकेगा। इनके अलावा आसमानी आतिशबाजी(उल्कावृष्टि) खास आकर्षण का केंद्र रहेगी। खगोल विज्ञानियों समेत एस्ट्रो फोटोग्राफरों की इन विशेष खगोलीय घटनाओं पर नजर रहेगी।
मंगल अन्य दिनों के अपेक्षा बड़ा व अधिक चमकदार नजर आएगा
astronomical events नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि इस साल सबसे पहले 12 जनवरी को लाल ग्रह मंगल (मार्स) दो वर्ष बाद पृथ्वी के करीब पहुंचने जा रहा है। मंगल अन्य दिनों के अपेक्षा बड़ा व अधिक चमकदार नजर आएगा। 13 जनवरी को धूमकेतु सी-2024जी-3 का आकर्षक नजारा देखने को मिलेगा।
सवा सौ साल बाद यह धरती के नजदीक
करीब सवा सौ साल बाद यह धरती के नजदीक पहुंच रहा है। इसी दिन चंद्रमा मंगल ग्रह के सामने से गुजरता नजर आएगा। 17 व 18 जनवरी की शाम को मंगल व शनि (शैटर्न) का मिलन होगा। 28 फरवरी को चंद्रमा व बुध ग्रह (मर्करी) एक दूसरे के बेहद करीब पहुंचेंगे।
13 मार्च को पूर्ण चंद्रग्रहण की आकर्षक घटना होगी। 29 मार्च को आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्यग्रहण उत्तर पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण पूर्वी कनाडा में देखने को मिलेगा। एक व दो अप्रैल की शाम को चंद्रोदय के साथ बृहस्पति(जुपिटर) का अद्भुत नजारा देखा जा सकेगा। चार मई को चंद्रमा व मंगल का पुनः एक दूसरे के करीब देखे जा सकेंगे। पांच मई को एटा एक्वारीड की उल्कावृष्टि चरम पर रहेगी। 16 जून को मंगल के साथ तारों का राजा रेगुलस एक दूसरे के साथ होंगे। astronomical events
11 और 12 अगस्त को शुक्र और बृहस्पति की युति का मनमोहक नजारा देखने को मिलेगा। 20 व 21 अगस्त की सुबह अर्ध चंद्र, शुक्र (वीनस), बृहस्पति व बुध ग्रह के अद्भुत दर्शन होंगे। सात व आठ सितंबर को वर्ष का दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इसके 15 दिन बाद यानी 22 सितंबर को वर्ष का दूसरा व अंतिम सूर्यग्रहण होगा।
19 सितंबर को चंद्रमा, शुक्र और रेगुलस का मिलन होगा और 23 सितंबर को शनि ग्रह को बिना छल्लों के देखे जाने का अवसर मिलेगा। 22 नवंबर को टौरीड उल्कावृष्टि होगी। इसके बाद बेहद खास माने जाने वाली जेमिनीड्स उल्कावृष्टि की आकर्षक खगोलीय घटना चरम पर रहेगी। यह वर्ष की अंतिम खगोलीय घटना होगी।
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