बीएनपी न्यूज डेस्क। पिछले एक साल से चल रहा किसान आंदोलन स्थगित कर दिया गया है। गुरुवार को आधिकारिक पत्र मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। इसके बाद गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि 11 दिसंबर को किसानों की वापसी हो जाएगी। 11 को ही विजय दिवस मनाया जाएगा। 13 दिसंबर को किसान श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने जाएंगे। 15 जनवरी को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की समीक्षा बैठक होगी। चढ़ूनी ने एलान किया कि अब किसी भी पार्टी या उद्योग का बहिष्कार नहीं किया जाएगा। किसान आंदोलन में बंद पड़े टोल भी खोल दिए जाएंगे।
दिल्ली-हरियाणा बार्डर (कुंडली बार्डर) पर एक साल से ज्यादा समय से चल रहा किसानों का धरना प्रदर्शन बेशक स्थगित हो गया है लेकिन रास्ता खुलने में अभी समय लगेगा। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुंडली बार्डर पर यातायात सामान्य होने में कम से कम चार-पांच दिन लग सकता है। इसकी मुख्य वजह रोड पर टेंट और बैरिकेडिंग है।
मिली जानकारी के अनुसार, आंदोलनकारियों ने करीब एक किलोमीटर के दायरे में रोड को खोद कर टेंट गाड़ रखा है। रोड पर किसानों ने कब्जा करके रखा है। जबकि बार्डर पर बैरिकेडिंग से भी रोड खराब हो गए हैं। रोड पर किसानों को सामान समेटने और टेंट उखाड़ने में करीब पांच दिन लग सकते हैं। टेंट उखड़ने और रोड खाली होने के बाद ही ट्रैफिक को आम लोगों के लिए खोला जाएगा। सोनीपत पुलिस का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने जो बैरिकेडिंग कर रखी है वह वही बता सकती है कितना दिन लगेगा लेकिन सोनीपत की सीमाओं पर कोशिश रहेगी यातायात जल्द ही खोला जाए। कुंडली बार्डर पर एक साल से अधिक समय से आंदोलनकारी नेशनल हाइवे को बंद कर वहां पर धरना दे रहे हैं। रोड बंद होने की वजह से हजारों लोगों पर इसका असर पड़ा है। रोड के किनारे की दुकानें और पेट्रोल पंप लगभग बंद हो गई हैं। यहां नौकरी करने वाले भी बेरोजगार हो चुके हैं। जिन लोगों को दिल्ली से हरियाणा जाना होता है उन्हें लंबा सफर करना पड़ेगा है।
सरकार का आधिकारिक पत्र, जिसपर बनी सहमति
1. एमएसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। जिस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधियों में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और इसमें जरूरी होगा कि सभी किसानों को एमएसपी मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए। सरकार वार्ता के दौरान पहले भी आश्वासन दे चुकी है कि वर्तमान में जिस राज्य में जिस फसल की एमएसपी पर जितनी सरकारी खरीद हो रही है, उसे घटाया नहीं जाएगा।
2. किसान आंदोलन के समय के केसों पर यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने तत्काल केस वापस लेने के लिये पूर्णतया सहमति दी है।
2-ए. किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्रवाई करें।
3. मुआवजे पर हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
उपरोक्त दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है।
4. बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
5. पराली के मुद्दे पर भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्ति दी है।
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