BNP NEWS DESK। Economy of India भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले तीन वर्षों के दौरान आठ प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर हासिल की है और अब यहां से 8-10 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर हासिल करने की नींव बन चुकी है। यह बात आरबीआइ ने मंगलवार को जारी अपनी मासिक रिपोर्ट (अप्रैल, 2024) में कही है।
Economy of India देश के केंद्रीय बैंक ने हाल के महीनों में दूसरी बार दहाई अंक की आर्थिक विकास दर हासिल करने की तरफ बढ़ने की बात कही है। तकरीबन डेढ़ दशक में सरकार के स्तर पर शायद ही 10 प्रतिशत या इससे ज्यादा की विकास दर हासिल करने की बात कही गई हो जबकि उसके वित्त मंत्रालय और तत्कालीन योजना आयोग इस बारे में कई बार रिपोर्ट जारी कर चुके थे।
अब आरबीआइ ना सिर्फ विकास से संबंधित आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अगले दो से तीन दशकों तक 8-10 प्रतिशत की विकास दर हासिल करने की जरूरत बता रहा है बल्कि उसे यह भी भरोसा है कि इसे हासिल करना संभव है।
आरबीआइ ने कहा है कि वर्ष 2021-2024 के दौरान आठ प्रतिशत की जो विकास दर हासिल की गई है, अब इसका विस्तार करने की स्थिति बन गई है। भारतीय इकोनमी को अगले तीन दशकों तक लगातार 8 से 10 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर हासिल करनी होगी और यह भारत की जनसांख्यिकीय स्थिति को देखते हुए जरूरी भी है।
जनसांख्यिकीय लाभांश अर्थव्यवस्था की उस स्थिति को कहते हैं जब किसी देश में जनसंख्या का प्रसार उसकी अर्थव्यवस्था को सर्वाधिक लाभ पहुंचाने की स्थिति में हो। आमतौर पर यह स्थिति तब बनती है जब कुल आबादी में काम करने वाले युवाओं की संख्या ज्यादा होती है। आरबीआइ का कहना है कि भारत में इस स्थिति की शुरुआत वर्ष 2018 से हो चुकी है और यह स्थिति मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से वर्ष 2055 तक रहेगी।
उपलब्ध श्रम को बेहतर प्रशिक्षण देने की जरूरत
केंद्रीय बैंक कहता है कि अधिकतम जनसांख्यिकीय लाभ के लिए पूंजी निवेश की जरूरत है और भारत में इसके संकेत मिल रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से पूंजीगत खर्चे में की जा रही है वृद्धि के बाद अब निजी सेक्टर की तरफ से भी निवेश बढ़ने लगा है।
इस संदर्भ में एशियाई विकास बैंक की ताजा रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। कोरोना काल में भारत में निजी निवेश घट गया था और कुल पूंजी निर्माण में नए निवेश की हिस्सेदारी घट गई थी, लेकिन अब यह बढ़ने लगा है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दरों में वृद्धि के बावजूद बैंकों की तरफ से वितरित होने वाले कर्ज में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो पिछले 11 वर्षों की अधिकतम वृद्धि दर है। आरबीआइ ने उपलब्ध श्रम को बेहतर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। बेहतर कौशल प्रशिक्षण से ही रोजगार के बेहतरीन अवसर दिया जा सकेगा।
विकास दर में वृद्धि के लिए महंगाई पर नियंत्रण जरूरी
आरबीआइ ने महंगाई के मुद्दे को भी उठाया है। उसने तेज आर्थिक विकास दर के लिए महंगाई पर नियंत्रण को अहम करार दिया है। पिछले कुछ महीनों में महंगाई की दर लगातार कम हो रही है और मार्च, 2024 में यह 4.9 प्रतिशत रही है।
वैसे खाद्य उत्पादों में महंगाई बढ़ने की आशंका रहेगी, लेकिन अब इस बात की संभावना मजबूत हुई है कि खुदरा महंगाई की दर चार प्रतिशत या इससे नीचे भी जाएगी। महंगाई के इस स्तर पर रहने से आर्थिक गतिविधियों के विस्तार में भी मदद मिलेगी और लोगों के जीवन स्तर को सुधार लाना आसान होता है।
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भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले तीन वर्षों के दौरान आठ प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर हासिल की है और अब यहां से 8-10 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर हासिल करने की नींव बन चुकी है।
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