BNP NEWS DESK। Krittivaseshwar Mahadev Temple हरतीरथ क्षेत्र में मौजूद कृत्तिवासेश्वर मंदिर परिसर को लेकर भी विवाद है। यहां खुले आसमान के नीचे शिवलिंग स्थापित है, जिसे कृत्तिवासेश्वर महादेव कहा जाता है। मुसलमान परिसर में मौजूद इमारत को आलमगीर मस्जिद बताते हैं और नमाज पढ़ते हैं।
Krittivaseshwar Mahadev Temple इस विवाद के चलते शिवलिंग के ऊपर छाजन तक नहीं लगाई जा सकी है। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए 24 घंटे पुलिस के जवान मौजूद रहते हैं। परिसर के विवाद का मामला अब अदालत तक पहुंच गया है।
भगवान कृतिवासेश्वर महादेव की ओर से वाराणसी निवासी संतोष सिंह, श्रीशचंद्र तिवारी, विकास कुमार शाह ने सिविल जज सीनियर डिवीजन अश्वनी कुमार की अदालत में वाद दाखिल कर निर्विघ्न पूजा-पाठ, राग-भोग, अभिषेक आदि की अनुमति देने और अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिद जैसी आकृति को हटाने की मांग की है।
मंदिर की देख-रेख करने के लिए स्थानीय लोगों ने अति प्राचीन कृत्तिवासेश्वर महादेव मंदिर सेवा समिति बनाई है
मंदिर की देख-रेख करने के लिए स्थानीय लोगों ने अति प्राचीन कृत्तिवासेश्वर महादेव मंदिर सेवा समिति बनाई है। समिति के मुख्य प्रबंधक विनोद यादव बताते हैं कि मंदिर के प्रति स्थानीय लोगों में अपार आस्था है मगर उन्हें पूजा-पाठ, राग-भोग आदि की अनुमति नहीं है। शिवलिंग खुले आसमान के नीचे है।
अतिक्रमण कर परिसर में रह रहे लोगों की आपत्ति के कारण शिवलिंग के ऊपर छाजन लगाने की अनुमति तक नहीं मिली है। सावन, शिवरात्रि जैसे अवसरों पर भी मंदिर को सजाने नहीं दिया जाता। समिति के संस्थापक अध्यक्ष मदन मोहन सिंह बताते हैं कि 2006 में आम का पेड़ गिर जाने से शिवलिंग क्षतिग्रस्त हो गया था।
पुराणों में कृत्तिवासेश्वर मंदिर का उल्लेख काशी के भव्य मंदिर रूप में
हिंदू व मुस्लिम पक्ष के साथ काशी के गणमान्य लोगों व प्रशासन की बैठक के बाद सहमति से नया शिवलिंग स्थापित किया गया। मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन करने वाले कमल चौबे बताते हैं कि पुराणों में कृत्तिवासेश्वर मंदिर का उल्लेख काशी के भव्य मंदिर रूप में आता है। 1659 में औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कर इसके ही अवशेष से आलमगीर मस्जिद बनाने का प्रयास किया था।
इसका उल्लेख बनारस गजेटियर में भी है। मलबे में नक्काशीदार पत्थर हैं, जिन पर पुष्प, कमल, घंटी, चक्र आदि के चिह्न स्पष्ट दिखाई देते हैं। इमारत का बरामदा मंदिर का हिस्सा नजर आता है। उनमें खंभों की कतार हैं, जिन पर चक्र, हाथी के सूड़ आदि की आकृतियां उकेरी हुईं हैं। बरामदे से सटे कमरे हैं, जिनमें जाने के रास्तों को बंद कर दिया गया है। पास ही हरतीरथ कुंड था, जिसे पाट दिया गया है।
स्कंद पुराण के काशी खंड में कृत्तिवासेश्वर महादेव का उल्लेख
बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रो. उपेंद्र त्रिपाठी के अनुसार स्कंद पुराण के काशी खंड में कृत्तिवासेश्वर महादेव का उल्लेख आता है। वहीं, शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर का कहना है कि हरतीरथ में मस्जिद का निर्माण आलमगीर (औरंगजेब) ने कराया था। फव्वारा होने की वजह से इसे फव्वारे वाली मस्जिद कहा जाता है।
कुछ साल पहले आम का पेड़ गिरने से फव्वारा टूट गया, जिस पर कुछ लोगों ने शिवलिंग रखकर पूजा शुरू कर दी। इसका विरोध उस वक्त मस्जिद में रहने वाले फरहद हुसैन के परिवार ने किया था, लेकिन पूजा-पाठ जारी रहा।
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Krittivaseshwar Mahadev Temple
हरतीरथ क्षेत्र में मौजूद कृत्तिवासेश्वर मंदिर परिसर को लेकर भी विवाद है। यहां खुले आसमान के नीचे शिवलिंग स्थापित है, जिसे कृत्तिवासेश्वर महादेव कहा जाता है।
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