BNP NEWS DESK। Mallikarjun Kharge कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव को संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ भी है।
Mallikarjun Kharge एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव पर विचार करने के लिुए सरकार द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति को पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की बात कहते हुए पार्टी ने इसे भंग करने की मांग की है।
पार्टी ने समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुरोध किया है कि उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति की हैसियत और उनके कार्यालय का केंद्र की सरकार दुरूपयोग न करे। Mallikarjun Kharge
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उच्चाधिकार प्राप्त कोविंद समिति के सचिव नितेन चंद्रा द्वारा 18 अक्टूबर को लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए एक देश एक चुनाव का विरोध करने का स्पष्ट ऐलान किया है। Mallikarjun Kharge
सलाह-मशविरे की प्रक्रिया दिखावा
प्रस्ताव को लेकर समिति के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का इशारा करते हुए खरगे ने पत्र में कहा है कि ऐसा लगता है कि समिति ने पहले ही अपना मन बना लिया है और सलाह-मशविरे की प्रक्रिया दिखावा नजर आ रही है।
चुनाव पर अधिक धन खर्च करने के तर्क को खारिज करते हुए खरगे ने कहा कि वित्तीय बचत के लिए एक साथ चुनाव कराने की बात सुनकर आश्चर्यजनक और निराधार है। पिछले लोकसभा चुनाव का खर्च बीते पांच साल के कुल केंद्रीय बजट का 0.02 प्रतिशत से भी कम है।
विधानसभा चुनावों का खर्च भी उनके राज्य बजट के हिसा से इसी अनुपात में है। लोकतंत्र कायम रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की लागत के रूप में लोग इस छोटी राशि पर विचार करने के लिए तैयार होंगे।
2014 के लोकसभा चुनाव में खर्च 3870 करोड़ रूपए खर्च हुआ जिसे समिति बहुत अधिक होने का दावा करती है। खरगे ने कहा कि इसके विपरीत 2016-22 तक केंद्र की सत्ताधारी पार्टी को 10,122 करोड़ रुपए चंदा मिलता है जिसमें 5271 करोड़ से अधिक गोपनीय चुनावी बांड के जरिए दिए गए।
चुनावी बांड से चंदा जुटाने की प्रक्रिया को दुरूस्त किया जाए
ऐसे में समिति, सरकार और चुनाव आयोग वास्तव में खर्च को लेकर गंभीर है तो उसे चुनावी फंडिंग को पारदर्शी बनाने की पहल करें विशेषकर चुनावी बांड से चंदा जुटाने की प्रक्रिया को दुरूस्त किया जाए। खरगे ने इन्हीं तकों के आधार पर एक देश एक चुनाव का विरोध करते हुए उच्चाधिकार प्राप्त समिति को भंग करने की मांग उठाई है।
समिति के गठन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह पक्षपातपूर्ण है क्योंकि इसमें तमाम राज्य सरकारों और प्रमुख विपक्षी दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है जो इसकी सिफारिशों से प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे संसदीय प्रणाली में देश में एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है।
संविधान के मूल ढांचे में बदलाव की जरूरत होगी
यह संविधान में निहित संघवाद की गारंटी के खिलाफ हैं। समिति को ईमानदारी से यह कहना चाहिए कि इसे लागू करने के लिए संविधान के मूल ढांचे में बदलाव की जरूरत होगी।
खरगे के मुताबिक एक साथ चुनाव कराने के लिए कई विधानसभाओं को दो-तीन साल पहले भंग करने की आवश्यकता होगी तो कुछ का कार्यकाल दो साल बढ़ाना होगा जो उन राज्यों में मतदाताओं के साथ विश्वासघात होगा।
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कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव को संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ भी है।
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