बीएनपी न्यूज डेस्क। भारत सरकार की सेंट्रल टीबी डिवीजन के निर्देश के क्रम में पूरे प्रदेश के क्षय रोगियों की लोकेशन आनलाइन किए जाने का काम किया जा रहा है। सभी रोगियों (सरकारी एवं निजी क्षेत्र) की निक्षय पोर्टल पर लोकेशन अपडेट की जा रही है। जिओ टैगिंग का मुख्य उद्देश्य टीबी रोगियों के निवास की पहचान करना है। पूरी जानकारी मैप के जरिए आनलाइन मिल सकेगी। टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति इलाज कराने से वंचित नहीं रह सकेगा। अब उनके निवास की पहचान आसानी से होगी और विभाग उनका उपचार करेगा। क्योंकि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने की स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहल की है। इसके लिए जिओ टैगिंग को हथियार बनाया गया है। इसके लिए जिले के प्रत्येक ब्लाक में टीमें लगाई गई हैं। स्वास्थ्य कर्मी मरीजों के घर जाकर अपने मोबाइल फोन से उनके पते की जिओ टैगिंग कर रहे हैं। इसमें मरीज के घर पहुंचकर वहां से आनलाइन लोकेशन डाला जा रहा। इसके बाद मरीजों के घर की लोकेशन आनलाइन गूगल मैप के जरिए दिखने लगेगी। जिओ टैगिंग के बाद कहीं से भी विभागीय अफसर टीबी मरीजों के घर की लोकेशन देख सकेंगे।
दरअसल, देश टीबी मुक्त हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में टीबी मरीजों को तलाश करने के लिए जिले में जिओ टैगिंग अभियान चलाया जा रहा। मरीजों को चिह्नित कर उनका उपचार किया जा रहा। विभाग की ओर से ऐसे मरीजों की लोकेशन निक्षय पोर्टल पर दर्ज की जा रही है। वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने के लक्ष्य के लिए क्षय रोगियों की पहचान और उपचार होगा। विभाग की ओर से जिओ टैगिंग के माध्यम से चिह्नित मरीजों को तलाशने का कार्य किया जा रहा। अभियान जिले के सभी ब्लाकों में चलाया जा रहा है। इसके लिए विभाग की ओर से वर्ष वर्ष 2019 से वर्ष 2021 तक के निजी व सरकारी क्षेत्र के सभी क्षय रोगियों की जिओ टैगिंग करते हुए उनकी लोकेशन अपडेट की जा रही। इससे यह पता चल जाएगा कि किस क्षेत्र में टीबी रोगी ज्यादा हैं। इससे टीबी रोगी खोजी अभियान के दौरान उस क्षेत्र पर विशेष फोकस किया जा सकेगा।
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