BNP NEWS DESK। Acharya Satyendradas वर्ष 1992 से रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास का बुधवार को साकेतवास हो गया। वह 85 वर्ष के थे और इसी माह के आरंभ में ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) लखनऊ में भर्ती कराया गया था।
Acharya Satyendradas वहीं उन्होंने बुधवार सुबह 7:30 बजे अंतिम सांस ली। उनके शिष्य एवं रामलला के सहायक अर्चक प्रदीपदास के संयोजन में मुख्य अर्चक की पार्थिव काया अयोध्या के रामघाट स्थित उनके आश्रम सत्यधाम में लोगों के दर्शनार्थ रखी गई है। उन्हें गुरुवार को पूर्वाह्न पुण्य सलिला सरयू में जल समाधि दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
रामलला का दर्शन करने आए प्रधानमंत्री मोदी को आचार्य ने वैकल्पिक गर्भगृह में पूजन कराया था। पीएम ने एक्स पर तत्समय का आचार्य के साथ अपना चित्र भी साझा किया।
लिखा ‘रामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्रदास जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। धार्मिक अनुष्ठानों और शास्त्रों के ज्ञाता रहे महंत जी का पूरा जीवन भगवान श्रीराम की सेवा में समर्पित रहा। देश के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा।’
गृहमंत्री ने एक्स पर लिखा है कि ‘राम भक्तों के बीच श्रद्धा और आस्था के प्रतीक रहे आचार्य जी का जीवन प्रभु की सेवा और भक्तों के मार्गदर्शन में सदैव समर्पित रहा। श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।’ मुख्यमंत्री ने आचार्य को परम रामभक्त बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।
तब रामलला को गोद में लेकर भागे थे आचार्य
आचार्य सत्येंद्रदास मूलरूप से संत कबीरनगर के निवासी थे। पिता के साथ यदा-कदा अयोध्या आते रहे सत्येंद्रदास 1958 में अयोध्या आए, तो यहीं के होकर रह गए। उन्होंने बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत अभिरामदास से दीक्षा ली। गुरु ने उन्हें आश्रम के काम-काज में सहयोग के साथ आश्रम से संबंधित देव स्थानों के पूजन-अर्चन का भी दायित्व सौंपा।
वह इस दायित्व का निर्वहन करते हुए अपनी पढ़ाई भी करते रहे। 1975 में उन्होंने व्याकरण विषय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की और अगले वर्ष त्रिदंडीदेव संस्कृत महाविद्यालय में सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। इसके बाद हनुमानगढ़ी स्थित गुरु आश्रम से विलग हो उन्होंने सत्यधाम गोपाल मंदिर की महंती संभाली। Acharya Satyendradas
एक मार्च 1992 को वह रामलला के मुख्य अर्चक नियुक्त किए गए। उन्हें पुजारी हुए नौ माह ही हुए थे, जब कारसेवकों ने रामजन्मभूमि पर बना विवादित ढांचा गिरा दिया। जब कारसेवकों ने रामलला के ठीक ऊपर वाले मध्य के गुंबद को तोड़ना शुरू किया, तब प्रत्युत्पन्न मति से वह रामलला को गोद में लेकर भाग खड़े हुए और कुछ देर सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया, ढांचा गिराए जाने के तीसरे दिन समतलीकरण के बाद उन्होंने रामलला को पुन: यथास्थान स्थापित किया।
उन्हें रामलला का ऐसा अर्चक होने का गौरव हासिल हुआ, जिसे विवादित ढांचा और टेंट के अस्थायी मंदिर से लेकर गत वर्ष से नव्य-भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित रामलला के पूजन-अर्चन का अवसर मिला। आचार्य सत्येंद्रदास को रामलला से सरोकार गुरु अभिरामदास के प्रसाद स्वरूप मिला था। वह अभिरामदास ही थे, जिन्होंने 22-23 दिसंबर 1949 की रात रामजन्मभूमि पर रामलला के प्राकट्य के बाद वहां रामलला को अक्षुण्ण रखने के लिए जान लड़ा दी थी। वह स्वयं भी रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से जुड़े रहे और इसी पात्रता के चलते उन्हें रामलला का अर्चक नियुक्त किया गया था।
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