बीएनपी न्यूज डेस्क। Biggest bank scam दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के 34,615 करोड़ रुपये के घोटाले में मुंबई के नौ रियल एस्टेट कंपनियां सीबीआइ के निशाने पर हैं। डीएचएफएल और इसके प्रमोटर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन पर इन रियल एस्टेट कंपनियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 14,683 करोड़ रुपये का लोन दिया था। डीएचएफएल, कपिल और धीरज वधावन इसके पहले भी यस बैैंक, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के भविष्य निधि और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में घोटाले में फंस चुके हैैं।
सीबीआइ के अनुसार जिन नौ कंपनियों पर घोटाले में शामिल होने का आरोप है, इनमें अमरिलिस रियलटर्स, गुलमर्ग रियलटर्स , स्काइलार्क बिल्डकान, दर्शन डेवलपर्स, सिगटिया कंस्ट्रक्शन, क्रियटोज बिल्डर्स, टाउनशिप डेवलपर्स, शिशिर रियलिटी और सनङ्क्षब्लक रियल एस्टेट शामिल हैं। सीबीआइ के अनुसार इन कंपनियों को दिए गए लोन में अमरिलिस रियलटर्स, गुलमर्ग रियलटर्स, स्काइलार्क बिल्डकान के पास डीएचएफएल का 98.33 करोड़ बकाया है।
वहीं दर्शन डेवलपर्स और सिगटिया कंस्ट्रक्शन के पास 3,970 करोड़ रुपये का बकाया है। ये सभी कंपनियां सुधाकर रेड्डी की सहाना ग्रुप से जुड़ी हैं। सीबीआइ का कहना है कि दर्शन डेवलपर्स और सिगटिया कंस्ट्रक्शन को खुद वधावन कंट्रोल करते थे। इसी तरह से क्रियटोज बिल्डर्स के पास 1,192 करोड़ रुपये, टाउनशीप डेवलपर्स के पास 6,002 करोड़ रुपये, शिशिर रियलिटी के पास 1,233 करोड़ रुपये और सनङ्क्षब्लक रियल इस्टेट के पास 2,185 करोड़ रुपये का बकाया है। सीबीआइ के अनुसार इन सभी कंपनियों ने कपिल और धीरज वधावन के वित्तीय हित जुड़े हुए थे।
डीएचएफएल और इसके प्रमोटर कपिल वधावन और धीरज वधावन का घोटालों से पुराना रिश्ता रहा है। इनका नाम सबसे पहले 2020 में यस बैंक घोटाले में सामने आया था। यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर पर 5050 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। इस घोटाले की जांच के दौरान पता चला कि यस बैंक ने 3700 करोड़ रुपये डीएचएफएल से कम अवधि वाले डिवेंटर्स खरीदे। इसके तत्काल बाद डीएचएफएल ने राणा कपूर व उनके परिवार की कंपनी डूईट अर्बन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को 600 करोड़ रुपये का लोन दे दिया। सीबीआइ और ईडी की जांच में मिले सुबूतों के साफ हो गया है कि राणा कपूर ने बैंक में जमा आम लोगों के धन को साजिश के तहत डीएचएफएल को दिया और रिश्वत के रूप में 600 करोड़ रुपये लिए। इस मामले में सीबीआइ और ईडी अन्य आरोपियों के साथ-साथ इन तीनों के खिलाफ चार्जशीट कर चुके हैं और घोटाले से जुड़े कई संपत्तियों को जब्त भी किया गया है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई से जमा भविष्य निधि के घोटाले में भी डीएचएफएल, कपिल और धीरज वधावन का नाम आ चुका है। इस मामले में यूपीपीसीएल ने कुल 4122.70 करोड़ रुपये डीएचएफएल में निवेश किया था। इसमें से 2267.90 करोड़ रुपये अभी तक वापस नहीं आए हैं। अभी तक की जांच के अनुसार इस निवेश में से 1000 करोड़ रुपये फर्जी कंपनियों के सहारे ब्रिटेन भेज दिया गया। सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है और ईडी ने इस मामले में वधावन से जुड़े ब्रिटेन की कंपनी के 578 करोड़ रुपये जब्त भी कर चुकी है।
इसी तरह से डीएचएफएल, कपिल और धीरज वधावन का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में भी आ चुका है। इसके तहत कपिल और धीरज वधावन ने पीएम आवास योजना के लाभार्थी के रूप में 2.60 लाख फर्जी लोगों को दिखाया। डीएचएफएल ने इन लाभार्थियों के एवज में 1887.20 करोड़ की ब्याज सब्सिडी का सरकार के सामने दावा किया। इसमें से 539.40 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया। लेकिन 1347.80 करोड़ रुपये के भुगतान के पहले ही घोटाले का भंडाफोड़ हो गया और सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी।
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