BNP NEWS DESK। Recep Tayyip Erdogan भारत के करीबी मित्र देश मिस्र ने अपनी नई राजधानी को दुनिया के सामने पेश किया है। दुनिया के 8 विकासशील मुस्लिम देशों (D-8) की इस बैठक में गुरुवार को मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने इस नई राजधानी के नए प्रशासनिक भवन और राष्ट्रपति महल का अनावरण किया।
Recep Tayyip Erdogan इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस भी पहुंचे थे। ये नेता मिस्र की नई आलीशान राजधानी के वैभव को बस देखते ही रह गए। वर्तमान राजधानी काहिरा से 45 किमी दूर रेगिस्तान में बनाई यह राजधानी जर्मनी के हैमबर्ग शहर के बराबर है।
बताया जा रहा है कि इस राजधानी को बनाने में 58 अरब डॉलर का भारी भरकम खर्च किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि मिस्र इस नई राजधानी को क्यों बसाने को मजबूर हुआ…
पिरामिडों का देश मिस्र इस राजधानी को तब बना रहा है जब वह खुद कंगाली से गुजर रहा है और सऊदी तथा यूएई जैसे देशों ने अब उसे लोन देने से किनारा कर लिया है। दुनिया में इंडोनेशिया के बाद मिस्र ही ऐसा दूसरा देश है जो इस समय दूसरी राजधानी बसा रहा है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता डूब रही है और यही वजह है कि दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश को यह फैसला लेना पड़ा है।
वहीं मिस्र की बात करें तो वह दूसरी समस्या से जूझ रहा है। दरअसल, काहिरा दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले शहरों में शामिल हो गया है। काहिरा में 2 करोड़ 20 लाख लोग रहते हैं। इस भीड़ को कम करने के लिए मिस्र ने नई राजधानी बनाई है।
मिस्र के महल को देखते रह गए एर्दोगन
मिस्र में डी 8 देशों की यह शिखर बैठक ऐसे समय पर हुई है जब लेबनान में भारी हिंसा का दौर जारी है। वहीं सीरिया में असद सरकार का खूनी तख्तापलट हो गया है। लेबनान के फिर से निर्माण के लिए करीब 30 अरब डॉलर की जरूरत होगी, वहीं सीरिया को 250 अरब डॉलर चाहिए होगा। अगर गाजा को भी जोड़ दें तो उसे 80 अरब डॉलर की जरूरत होगी।
इजरायल ने गाजा को कब्रिस्तान में बदल दिया है। इसी को देखते हुए मिस्र के राष्ट्रपति सीसी ने डी 8 देशों की यह बैठक बुलाई थी। सीसी ने इसी नई राजधानी में कहा कि उनका देश सीरिया के फिर से निर्माण में हिस्सा लेगा।
अफ्रीका की सबसे ऊंची इमारत बनकर तैयार
वहीं जनता के कुछ सदस्यों ने इस महल और उसमें हुए खर्च की कड़ी आलोचना भी की है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था जब कराह रही है, ऐसे में इतना खर्च अनावश्यक है। मिस्र को अब और ज्यादा कर्ज लेना होगा। मिस्र के राष्ट्रपति ने दावा किया कि इस नई राजधानी के निर्माण में उनकी सरकार को एक पैसा नहीं खर्च करना पड़ा है।
उनके इस दावे के बाद तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। वह भी तब जब इस शहर में अफ्रीका की सबसे ऊंची इमारत, सबसे बड़ी मस्जिद और सबसे बड़ा चर्च बनाया गया है। सीसी ने राजधानी के उद्धाटन पर कहा कि यह नई राजधानी देश की सांस्कृतिक और सभ्यता की महानता को दर्शाती है। डी 8 के सदस्य देशों में तुर्की, ईरान, इंडोनशिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया, मिस्र, बांग्लादेश और मलेशिया हैं। इनकी कुल आबादी 1 अरब है।
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