BNP NEWS DESK। discussion on exam प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छात्रों को परीक्षा के तनाव को भगाने और बेहतर खान-पान के साथ नेतृत्व (लीडरशिप) का भी मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि ये थोपी नहीं जाती, बल्कि इसके लिए कुछ ऐसा करना होता है कि जिससे आसपास के लोग आपको स्वीकार करें।
‘जहां कम-वहां हम’ के सिद्धांत को अपनाना जरूरी
discussion on exam ज्ञान झाड़ने से कोई स्वीकार नहीं करेगा। कुछ करके दिखाना होगा। जाहिर तौर पर इस संवाद के जरिये उन्होंने वर्तमान राजनीति के कुछ चेहरों पर परोक्ष तंज किया होगा। लेकिन किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि नेतृत्वकर्ता बनने के लिए ‘जहां कम-वहां हम’ के सिद्धांत को अपनाना जरूरी है।
प्रधानमंत्री मोदी की छात्रों के साथ हुई परीक्षा पे चर्चा का सोमवार को प्रसारण किया गया। पिछले दिनों नई दिल्ली की सुंदर नर्सरी में खुले प्राकृतिक वातावरण में यह चर्चा हुई थी। इसमें देश के सभी 36 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से एक-एक छात्र शामिल था। discussion on exam
नेतृत्व की परिभाषा दूसरों के लिए उदाहरण बनना हैं
इस दौरान बिहार के छात्र विराज ने प्रधानमंत्री से पूछा आप इतने बड़े वैश्विक नेता हैं और आप तमाम प्रकार के पदों पर रहे हैं, तो आप हमें ऐसी दो-तीन बातें बताएं जो नेतृत्व से संबंधित हो और हम बच्चों को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण हो। प्रधानमंत्री ने सवाल पूछते ही छात्र का नाम पूछा और कहा कि बिहार के लड़के हो और राजनीति का सवाल न हो, यह हो नहीं सकता। बिहार के लोग बहुत तेजस्वी होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेतृत्व (लीडरशिप) की परिभाषा कुर्ता-पायजामा वाला, जैकेट पहना हुआ और बड़े मंच पर बड़े-बड़े भाषण करने वाला नहीं होता। आपको दूसरों के लिए उदाहरण बनाना है। discussion on exam
जैसे आप मानीटर हैं और सभी से स्कूल समय पर आने के लिए कहेंगे, लेकिन खुद देरी से आएंगे तो कोई कैसे आपकी बात मानेगा। अगर होमवर्क करना है और मानिटर ने होमवर्क कर लिया है, तो बाकियों को लगेगा कि उन्हें भी करना है।
यदि किसी का नहीं हुआ तो उसे आप मदद कीजिए। वह आपको पसंद करेगा। नेतृत्व के लिए भरोसा भी बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि आप प्रधानमंत्री नहीं होते, सिर्फ मंत्री होते तो कौन-सा विभाग आपको पसंद होता, तो मैंने जवाब दिया था कि मैं कौशल विकास विभाग की मांग करता।
छात्रों से बोले पीएम, यहां से जाकर अब घर में दादागिरी मत करना
प्रधानमंत्री ने विदा लेते समय छात्रों को हिदायत दी कि अब घर में दादागिरी मत करना कि पीएम से हमारी डायरेक्ट पहचान हो गई है। टीचर को मत डराना। इस पर छात्रों ने उन्हें भरोसा दिया और कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री ने इसके बाद ठहाके लगाए।
परीक्षा में जाकर होने वाले प्रेशर को कैसे कम करें
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला उपाय तो यह है कि पुराने प्रश्नपत्रों को लेकर अभ्यास करें। अगर आपने अभ्यास किया है तो पता चलेगा कि कम शब्दों में जवाब लिखने से समय बचेगा। जो सवाल नहीं आता है, उस पर मेहनत न करें। आगे बढ़े। यदि उसमें उलझे तो दूसरे आने वाले सवालों के जवाब देने के लिए समय कम जाएगा।
फेल होने से बचना है तो विफलताओं से सीखें
फेल होने से जिंदगी अटक नहीं जाती। आपको तय करना होगा कि जीवन में सफल होना है या फिर किताबों से सफल होना है। जीवन में सफल होने का एक उपाय यह है कि जीवन की जितनी विफलताएं है, उन सभी को अपना टीचर बना लें। सारे क्रिकेटर ऐसा करते हैं।
जीवन सिर्फ परीक्षाएं नहीं हैं, उसको समग्रता में देखने की जरूरत है। हर वर्ष दसवीं में 40 और बारहवीं में 30 प्रतिशत बच्चे फेल होते हैं। वे फिर परीक्षा देते हैं। उनमें से कई फिर फेल होते हैं। तो क्या होता है। वे चुप बैठ जाते हैं, बल्कि जीवन में कुछ और अच्छा करते हैं। जो खुद से स्पर्धा करता है, उसका विश्वास कभी नहीं टूटता।
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