BNP NEWS DESK। Khalistani terrorists महाकुंभ में आतंकी हमले के इरादे से पाकिस्तान और जर्मनी में गहरी साजिश रची गई थी जो पुलिस की चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कारण सिरे नहीं चढ़ सकी। यूपी एसटीएफ और पंजाब पुलिस ने बुधवार/गुरुवार की रात प्रयागराज के पड़ोसी जनपद कौशांबी में बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआइ) के आतंकी लजर मसीह को गिरफ्तार कर इस साजिश के तार खोले हैं।
Khalistani terrorists मूलत: अमृतसर का रहने वाला लजर पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ के हैंडलरों के संपर्क में था। लजर के पास से तीन हैंडग्रेनेड, दो जिलेटन राड, दो डेटोनेटर, 7.62 एमएम की रूस निर्मित पिस्टल (नोरिनको एम-54 टोकारेव), 13 कारतूस, बिना सिम का एक मोबाइल फोन व गाजियाबाद के फर्जी पते पर बना आधारकार्ड बरामद हुआ है।
बीते दिनों अमेरिका में रह रहे खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने महाकुंभ में आतंकी हमले की धमकी दी थी, जिसके बाद से ही केंद्रीय एजेंसियों के साथ उप्र पुलिस चौकन्नी थी। अलर्ट घोषित कर पूरी सतर्कता बरती जा रही थी।
डीजीपी प्रशांत कुमार के अनुसार लजर प्रयागराज भी गया था पर सघन चेकिंग व पुलिस की मुस्तैदी से वह शहर के भीतर घुसने में कामयाब नहीं हो सका। ताजा इनपुट के बाद उसे बुधवार देर रात करीब सवा तीन बजे कौशांबी में दबोच लिया गया।
असलहों व ड्रग्स का बड़ा सप्लायर
लजर बीकेआइ के जर्मन बेस्ड माड्यूल के मुखिया स्वर्ण सिंह उर्फ जीवन फौजी का करीबी और असलहों व ड्रग्स का बड़ा सप्लायर है। वह तस्करी के ही मामले में अमृतसर (पंजाब) जेल में बंद था। लजर मूलरूप से अमृतसर के रामदास थानाक्षेत्र स्थित ग्राम कुरलियां का निवासी है। उसके पिता कुलविंदर ने मतांतरण कर इसाई धर्म अपना लिया था।
एडीजी कानून-व्यवस्था व एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि जेल में हुई गैंगवार में चोटिल होने पर लजर को अमृतसर के गुरु नानक देव हास्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां से वह 24 सितंबर, 2024 को भाग निकला था और स्वर्ण सिंह के इशारे पर 23 अक्टूबर, 2024 को बटाला (पंजाब) में फिरौती के लिए एक व्यक्ति को गोली मारी थी। इसके बाद वह सोनीपत व दिल्ली में छिपकर रहा और महाकुंभ के दौरान दिल्ली से गाजियाबाद पहुंचा।
गाजियाबाद में एक फर्जी पते पर अपना आधार कार्ड बनवाया और उसके माध्यम से पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। इसके बाद वह लखनऊ, कानपुर व अन्य शहरों में छिपकर महाकुंभ में हमले की घटना की फिराक में रहा। हालांकि, पुलिस यह नहीं साफ कर सकी कि लजर उत्तर प्रदेश में कब दाखिल हुआ था। एक टीम को गाजियाबाद में उसके पासपोर्ट की छानबीन के लिए लगाया गया है।
सिग्नल एप के जरिए आइएसआइ व साथियों से साधता था संपर्क
डीजीपी का कहना है कि शुरुआती पूछताछ में लजर ने स्वीकार किया कि वह घटना को अंजाम देने के बाद पुर्तगाल भागने की फिराक में था, इसके लिए गाजियाबाद से फर्जी आधारकार्ड के माध्यम से पासपोर्ट बनवाने का प्रयास कर रहा था। वह सिग्नल एप के माध्यम से पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ के तीन एजेंटों के लगातार संपर्क में था।
इसके अलावा अमेरिका, पुर्तगाल व कतर में अपने साथियों के भी लगातार संपर्क में था। उसके मोबाइल फोन के डाटा को खंगाला जा रहा है। कई बिंदुओं पर छानबीन की जा रही है। उसके स्थानीय मददगारों को लेकर भी गहनता से पड़ताल हो रही है। लजर के विरुद्ध कौशांबी में मुकदमा दर्ज कराया गया है। उसे पुलिस रिमांड पर लेकर आगे की पूछताछ की जाएगी।
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