BNP NEWS DESK। Murshidabad violence वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर बंगाल में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हिंसा के पीछे बांग्लादेशी जिहादियों व आतंकी संगठन अंसार उल बांग्ला टीम (एबीटी) का हाथ हो सकता है। खुफिया एजेंसियों ने केंद्रीय गृह विभाग को इस बाबत एक रिपोर्ट और बंगाल में हुई हिंसा को लेकर जानकारी भेजी है।
Murshidabad violence सूत्रों के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों में एबीटी के स्लीपर सेल सक्रिय हैं, जो लंबे समय से घटना की योजना बना रहे थे। कुछ माह पहले ही एबीटी के तीन आतंकियों को इसी जिले से असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था जिसमें से दो बांग्लादेशी थे। सूत्रों के मुताबिक इस हिंसा की साजिश लंबे समय से रची जा रही थी।
पिछले तीन महीनों से घटना को अंजाम देने की योजना बन रही थी। इसके लिए विदेश से फंडिंग की गई थी। शुरुआती तौर पर केंद्रीय जांच एजेंसियों को जो सुबूत मिले हैं, वह इस ओर इशारा कर रहे हैं कि शुरू में रामनवमी की तारीख तय थी।
हालांकि, सख्त सुरक्षा के कारण चीजें बदल गईं और फिर वक्फ संशोधन कानून की आड़ में हिंसा की साजिश रची गई। जांच एजेंसी को इसका भी अंदेशा है कि स्लीपर सेल मुर्शिदाबाद के अलावा भारत-बांग्लादेश सीमा के अन्य सीमावर्ती भारतीय जिलों के भीतर भी इसी तरह की हिंसा को अंजाम देने की फिराक में है। Murshidabad violence
विदेशी फंडिंग की पुष्टि
जांच एजेंसियों को ऐसे डिजिटल और वित्तीय लेनदेन के सुबूत मिले हैं जो संकेत देते हैं कि हिंसा को अंजाम देने के लिए विदेशी स्रोतों से पैसे भेजे गए। इन पैसों का इस्तेमाल भीड़ जुटाने, इंटरनेट मीडिया पर भड़काऊ संदेश फैलाने और जमीन पर संगठन बनाने में किया गया।
एजेंसियों को यह भी आशंका है कि मुर्शिदाबाद के अलावा, नदिया, मालदा, उत्तर व दक्षिण 24 परगना और कूचबिहार जैसे सीमावर्ती जिलों में भी हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही है। ऐसे में इन इलाकों को लेकर केंद्र और राज्य की एजेंसियों को सतर्क किया गया है।
Discussion about this post