BNP NEWS DESK। Gyanvapi case ज्ञानवापी मामले में गुरुवार को अदालत ने देर शाम जारी आदेश में मुस्लिम पक्ष का सर्वे रोकने पर दाखिल प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे को रोकने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था। प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि सर्वे के लिए वादी पक्ष की ओर से शुल्क नहीं जमा किया गया है। इसके साथ ही एएसआइ द्वारा उन्हें सर्वे की कार्रवाई के संबंध में कोई जानकारी लिखित रूप में नहीं दी गई थी और न्यायालय द्वारा आदेश के अनुपालन के संबंध में भी उन्हें अवगत नहीं कराया गया था।
Gyanvapi case अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ताओं ने इस आधार पर सर्वे को रोकने की अदालत से अपील की थी। वहीं दूसरी ओर अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में जारी सर्वे में मिले साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिए मंदिर पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व सुधीर त्रिपाठी के प्रार्थना पत्र को निस्तारित करते हुए जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि इससे संबंधित अपील पर पूर्व में आदेश दिया जा चुका है। ऐसे में पुनः आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से विगत नौ अगस्त को वाराणसी जिला अदालत में आवेदन दिया गया था। समिति के वकील मुमताज अहमद ने प्रार्थना पत्र में उल्लेख किया था कि वादी पक्ष द्वारा एएसआइ द्वारा सर्वेक्षण किए जाने के खर्च की राशि को जमा नहीं किया गया है। वकील ने तर्क दिया कि चूंकि एएसआइ ने सर्वेक्षण के बारे में समिति को कोई लिखित जानकारी नहीं दी है, इसलिए सर्वेक्षण की कार्यवाही नियम के खिलाफ थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में अदालत से चल रहे एएसआइ सर्वेक्षण को रोकने के लिए आदेश पारित करने की प्रार्थना की थी। 17 अगस्त को वादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने अदालत में याचिका पर आपत्ति दाखिल कर सर्वे को जारी रखने की मांग की थी। इस मामले में गुरुवार को अदालत में मुस्लिम पक्ष की मांग को खारिज करते हुए सर्वे को जारी रखने का आदेश दिया है।
दूसरी ओर ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मिले साक्ष्यों को जिला प्रशासन को सौंपने के मामले में अदालत ने पूर्व में 14 सितंबर को जारी आदेश को ही लागू करते हुए अपील निस्तारित कर दी। पूर्व में ज्ञानवापी परिसर में हिंदू धर्म से संबंधित साक्ष्यों के नष्ट होने और साक्ष्यों के संरक्षण के मामले में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश जारी किया था।
जिसमें राखी सिंह बनाम भारत सरकार प्रकरण में अदालत की ओर से दोनों पक्षों को सुनने के बाद साक्ष्यों के संकलन और उनको सुरक्षित जिला प्रशासन या नामित अधिकारी की सुपुर्दगी में सुरक्षित रखने का आदेश दिया जा चुका है।
साक्ष्य संकलन पर पूर्व का आदेश
जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश द्वारा 14 सितंबर को जारी आदेश में उल्लेख किया गया था कि वर्तमान में प्रश्नगत स्थल पर आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे कराया जा रहा है यह उचित प्रतीत होता है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे में जो भी वस्तुएं और सामग्री प्रश्नगत स्थल से प्राप्त हों और इस वाद के तथ्यों से संबंधित हों अथवा हिंदू धर्म व पूजा पद्धति से संबंधित हों अथवा ऐतिहासिक या पुरातत्व दृष्टिकोण से इस बात के निस्तारण हेतु महत्वपूर्ण हो सकती हैं
उन्हें जिला मजिस्ट्रेट अथवा उनके द्वारा नामित किसी अधिकारी की सुपुर्दगी में दे जो उन वस्तुओं को सुरक्षित रखेंगे। जब भी उन्हें न्यायालय तलब करेगी उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे। आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया सर्वे के दौरान प्राप्त सामग्रियों की एक सूची बनाएगी और उस सूची की एक प्रति न्यायालय में दाखिल करेगी और एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट को सौंप देगी।
सर्वे पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति
मुस्लिम पक्ष की ओर से एएसआइ सर्वे को आगे बढ़ाने के दौरान भी आपत्ति दाखिल की गई थी। समिति की ओर से कहा गया था कि सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट ने एएसआइ को विवादित जायदाद (आराजी नंबर 9130 जिस पर ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है) में किसी किस्म की खोदाई किये बगैर सर्वे करने हेतु आदेशित किया। जबकि एएसआइ द्वारा सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देश के विरुद्ध सर्वे किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा मात्र वैज्ञानिक और जीपीआर पद्धति द्वारा सर्वे करने का आदेश दिया गया था।
एएसआइ को किसी मलबा अथवा कचरे की सफाई करने के पश्चात सर्वे करने के लिए अधिकृत नहीं किया है। लेकिन, एएसआइ मस्जिद के तहखाने व कई जगहों पर मिट्टी की खोदाई करके सर्वे कर रहा है जिसकी अनुमति नहीं है। मस्जिद के पश्चिमी दीवार के पश्चिम बैरेकेडिंग के अंदर जो मलबा या मिट्टी मौजूद है उसे हटाने अथवा दूसरे स्थान पर लाकर इकट्ठा करने से मस्जिद की इमारत को खतरा है। एएसआइ को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया जाना न्यायोचित नहीं है क्योंकि रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पूर्व में चार सप्ताह का समय दिया जा चुका है।
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Gyanvapi case
Gyanvapi case ज्ञानवापी मामले में गुरुवार को अदालत ने देर शाम जारी आदेश में मुस्लिम पक्ष का सर्वे रोकने पर दाखिल प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
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