बीएनपी न्यूज डेस्क। ज्योतिष शास्त्र में जिस तरह से ग्रहों का राशि परिवर्तन महत्व रखता है उसी प्रकार से ग्रहों का उदय और अस्त होना भी महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि ग्रहों में होने वाले हर परिवर्तन का सीधा प्रभाव सभी लोगों के जीवन पर पड़ता है। बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इस ग्रह का अस्त होना कई राशि वालों की जिंदगी में बड़े बदलाव लेकर आता है। ये ग्रह 23 फरवरी को अस्त होने जा रहा है। पूरे 32 दिन तक अस्त रहने के बाद ये 27 मार्च को उदय होगा। जानिए ये अवधि किन राशि वालों के लिए फायदेमंद साबित होगी। ग्रहों के राजा सूर्य 13 फरवरी को कुंभ राशि में गोचर कर चुके हैं। सूर्य के इस राशि में आते ही गुरु ग्रह की शक्तियां क्षीण हो जाएंगी। सूर्य के प्रभाव से देवगुरु बृहस्पति 19 फरवरी को कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे, जो कि 20 मार्च 2022 तक इसी राशि में सामान्य अवस्था में वापस आ जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 32 दिन तक गुरु अस्त के दौरान कुछ राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य के दोनों और लगभग 11 डिग्री पर गुरु होता है तो अस्त माना जाता है। चूंकि देवगुरु बृहस्पति धर्म और मांगलिक कार्यों का कारक ग्रह है। इसलिए गुरु ग्रह के अस्त होने पर मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। इस बार 23 फरवरी से 26 मार्च तक गुरु अस्त रहेगा। इसलिए तकरीबन इन 32 दिनों तक विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं होंगे।
वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ फलदायी ग्रह माना गया है। जन्म कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। गुरु की कमजोर स्थिति से जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गुरु धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं। ये कर्क राशि में उच्च और शनि की राशि मकर में नीच स्थिति में होता है। हर गुरुवार भगवान विष्णु को घी का दीपक लगाएं। गुरुवार का व्रत रखें और इस दिन पीली चीजों का दान करने से बृहस्पति का अशुभ असर खत्म होगा।
सूर्य और गुरु एक ही राशि में
वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ कामों का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। डॉ. मिश्र के बताते हैं कि सूर्य जब गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है तो इससे गुरु निस्तेज हो जाते हैं, उनका प्रभाव समाप्त हो जाता है।
शुभ कामों के लिए गुरु का पूरी तरह बलशाली अवस्था में होना जरूरी है। इसलिए एक इस दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। खासतौर से विवाह तो बिल्कुल नहीं किए जाते हैं क्योंकि शादी के लिए सूर्य और गुरु दोनों ग्रहों की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। इसके साथ ही लगभग 12 साल में एक बार जब बृहस्पति सूर्य की राशि सिंह में आते हैं तो भी ज्योतिषीयों के मुताबिक मांगलिक नहीं करने चाहिए।
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