BNP NEWS DESK। tigress in sonbhadra सोनभद्र में पिछले पांच दिनों से दहशत का पर्याय बनी बाघिन का शव सोमवार की देर शाम मध्य प्रदेश के सिंगरौली वन क्षेत्र माड़ा के बीट रौंदी के जंगल में मिला। उसकी तलाश कर रहे वन कर्मियों ने शव देख उच्चाधिकारियों को जानकारी दी। फिर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बाघिन के शरीर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं हैं। डीएफओ माड़ा अखिलेश बंसल का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारण का पता चल सकेगा।
पांच फरवरी की रात से बाघिन की दस्तक से मध्य प्रदेश के साजापानी समेत कई गांंव में लोग सहम गए थे। सीधी जिले के संजय टाइगर दुबरी भूईमाड़ रेंज से क्रास कर बाघिन माड़ा परिक्षेत्र के डोंगरी व लंघाडोल क्षेत्र में रहना शुरू कर दी थी।
tigress in sonbhadra वन रेंजर माड़ा ने तत्काल संजय टाइगर वन अमले को अवगत कराते हुए पांच अलग-अलग दल गठित कर सभी क्षेत्र सहायकों को प्रभारी बनाते हुए रेंज स्तर पर बाघिन की निगरानी शुरू कर दी थी। जहां संजय टाइगर टीम ने संयुक्त रूप से ट्रैकिंग और गश्ती करते हुए नजर रख रही थी।
बाघिन को कालर आईडी भी लगी हुई थी। इस दौरान बाघिन ने कभी भी किसी ग्रामीण के ऊपर कोई हमला नहीं बोला था। बाघिन के गले में लगी कालर आईडी से मूवमेंट का पता चल रहा था।
उसी के आधार पर ही वन विभाग व टाइगर रिजर्व की टीमें निगरानी कर रही थी। वन विभाग ने उसका लोकेशन रौंदी में ट्रेस किया था। लेकिन पिछले तीन दिनों से बाघिन का कोई मूवमेंट न होने से वन अमला सख्ते में आ गया। जिसके बाद रौंदी बीट के जंगल में खोज शुरू की गयी। सोमवार देर शाम बाघिन का संदिग्ध परिस्थतियों में शव मिला।
वन विभाग की लापरवाही आई सामने
पिछले सप्ताह बुधवार की देर शाम अभ्यारण्य दुबरी के भूईमाड़ जंगल से बाघिन भटक कर माड़ा वन परिक्षेत्र के डोंगरी व लंघाडोल के जंगल आ गयी। उसके गले में कालर आईडी लगने के बाद भी उसको रेस्क्यू नहीं किया गया। वन विभाग ने समय रहते उसे दोबारा सही सलामत दुबरी अभ्यारण्य के जंगल में नहीं भेज पाई, बल्कि बाघिन का शव मिला है।
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