BNP NEWS DESK। Most Favoured Nation नई साल की शुरुआत से भारत और स्विट्जरलैंड के रिश्तों में बड़ा बदलाव आ रहा है। हाल ही में स्विट्जरलैंड ने भारत से मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favoured Nation – MFN) का दर्जा रद कर दिया है।
स्विट्जरलैंड का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा 1 जनवरी 2025 के बाद भारत के पास नहीं रहेगा। स्विट्जरलैंड की सरकार ने यह फैसला साल 2023 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद लिया।
Most Favoured Nation अब सवाल ये है कि मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा क्या होता है, यह क्यों दिया जाता है, इसके फायदे क्या हैं और किन हालातों में इसे कैंसिल किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट को वो कौन-सा फैसला था, जिसकी वजह से स्विस सरकार ने भारत का मोस्ट फेवर्ड नेशन वापस ले लिया? इससे भारत को क्या नुकसान होगा?
मोस्ट फेवर्ड नेशन क्या है?
विश्व व्यापार संगठन ( World Trade Organization – WTO) के सभी 166 देश एक-दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favoured Nation) का दर्जा देते हैं। मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी ‘किसी देश के वे पसंदीदा देश, जिनके साथ वह व्यापार करना चाहता है। देश अपनी पसंदीदा देशों को यह दर्जा दे सकता है।
Most Favoured Nation इस दर्जे के बाद इन देशों को एक-दूसरे के साथ व्यापार में कई तरह की सहूलियत मिलती हैं। ये देश व्यापार बढ़ाने के लिए एक-दूसरे को टैक्स और टैरिफ में रियायत देते हैं।
अब आप इसे आसान भाषा में समझिए- भारत और स्विट्जरलैंड के बीच 1 जनवरी 2025 तक मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा है। 1 जनवरी तक इन दोनों देशों की कंपनियों को व्यापार करने के लिए टैक्स में कई तरह की छूट मिल रही है। 1 जनवरी 2025 के बाद ऐसा नहीं होगा।
फिर दोनों देश अपने-अपने हिसाब से एक-दूसरे की कंपनियों पर टैक्स लगाएंगे। मोस्ट फेवर्ड नेशन का मकसद दुनिया भर में व्यापार करने के लिए अच्छा और आसान माहौल तैयार करना है। विकासशील देशों के विकास में यह दर्जा बेहद मददगार है।Most Favoured Nation
मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा क्यों दिया जाता है
मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा आमतौर पर द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के माध्यम से दिया जाता है। यह दर्जा किसी भी देश को दिया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर उन देशों को दिया जाता है, जिनके साथ अच्छे राजनीतिक और आर्थिक संबंध हैं।
यह दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए देश आयात और निर्यात प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए यह दर्जा देते हैं।
मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जे के क्या फायदे हैं
कम शुल्क और टैक्स में छूट : मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जे के तहत आने वाले देशों को दूसरे देशों के उत्पादों पर कम शुल्क देना होता है। टैक्स में भी छूट मिलती है। इससे व्यापार बढ़ता है और दोनों देशों के लोगों को सस्ते उत्पाद मिलते हैं।
व्यापार बाधाओं में कमी: मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा ट्रेड के दौरान आने वाली बाधाओं को कम करने में मददगार होता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होते हैं।
आर्थिक विकास : मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा दोनों देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और जीवन स्तर में सुधार होता है।
समान व्यवहार: MFN दर्जे के बाद एक देश दूसरे देश को उतने ही व्यापारिक लाभ देगा, जितने कि उसने किसी अन्य देश को दिए हैं। दर्जा मिलने के बाद आयात शुल्क, टैक्स व नियमों को लेकर भेदभाव नहीं होता।
मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा कब रद किया जा सकता है
मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा किसी भी समय रद्द किया जा सकता है। WTO के आर्टिकल 21बी के तहत आमतौर पर MFN दर्जा तब रद किया जाता है, जब कोई देश दूसरे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाता है, अनुचित व्यापारिक प्रथाओं जैसे – डंपिंग या मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल हो या फिर दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ जाता है।
ऐसे में देश एक-दूसरे के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ लेते हैं। उदाहरण के लिए- अगर एक देश दूसरे देश के उत्पादों पर प्रतिबंध लगा देता है तो ऐसे में पहला देश दूसरे देश को दिया गया MFN दर्जा रद्द कर सकता है।
भारत ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा रद किया
साल 1996 में भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था। हालांकि पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा कभी नहीं दिया। साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा रद कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का वो आदेश जिस पर स्विट्जरलैंड ने लिया यह फैसला
स्विट्जरलैंड कंपनी नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि भारत ने लिथुआनिया, स्लोवेनिया और कोलंबिया जैसे देशों के साथ डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट किया है। मोस्ट फेवर्ड नेशन के तहत स्विट्जरलैंड की कंपनियों को भी यह छूट मिलनी चाहिए।
इस पर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था- ‘स्विट्जरलैंड के साथ डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट तब तक नहीं हो सकता, जब तक सरकार इसे इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अंतर्गत अधिसूचित नहीं करा लें।’
इसके बाद स्विट्जरलैंड ने मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जा रद करने का कदम उठाया। बता दें कि डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट में शामिल दोनों देशों के बीच व्यापार करने वाली कंपनियों को मुनाफे पर दो देशों में टैक्स नहीं देना पड़ता है।
नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट में जिन कंपनियों का हवाला देते हुए पक्ष रखा था, वे लिथुआनिया, स्लोवेनिया और कोलंबिया जैसे छोटे देशों की थीं, जोकि भारत से करार के बाद ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन (Organization for Economic Cooperation and Development -OECD) का हिस्सा बने और मोस्ट फेवर्ड नेशन की लिस्ट में भी शामिल हो गए।
भारत पर क्या होगा इसका असर
अभी 323 स्विस कंपनियां भारत में काम कर रही हैं। 287 कंपनियां साल 1991 के बाद आईं।
भारत में काम कर रहीं स्विस कंपनियों में 1.35 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है।
स्विट्जरलैंड में 140 भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं, पांच हजार लोगों को नौकरी मिली है।
साल 2023-24 में स्विट्जरलैंड भारत का 15वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है
स्विट्जरलैंड की सरकार की ओर से भारत के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा रद्द करने का असर सीधे स्विट्जरलैंड में काम कर रही भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा। अब इन कंपनियों को कमाई पर 10% तक टैक्स देना पड़ेगा। अभी तक इन कंपनियों को वहां करीब 5% टैक्स देना होता था।
इसी तरह भारत में काम कर रहीं स्विस कंपनियों पर भी टैक्स बढ़ जाएगा। भारत में जनवरी से मैगी, किटकैट और सेरेलेक जैसे उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं, क्योंकि ये स्विस कंपनी नेस्ले के उत्पाद हैं।
Discussion about this post