BNP NEWS DESK। Naganthaiya in Varanasi 500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास द्वारा आरंभ श्रीकृष्ण लीला गंगा तट के तुलसीघाट पर शाम होते ही शुरू हो गई। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर मंगलवार को तुलसीघाट पर नागनथैया लीला का मंचन हुआ।
इस लीला में मां गंगा, कालिंदी यमुना बनीं तो तुलसीघाट वृंदावन नजर आया। भगवान बाल श्रीकृष्ण ने कालिय नाग का मान मर्दन कर पूरे विश्व को नदी पर्यावरण के संरक्षण का संदेश भी दिए।
Naganthaiya in Varanasi नागनथैया की यह लीला काशी के लक्खा मेलों में एक है। शाम ठीक 4:40 बजे भगवान श्रीकृष्ण कदंब की डाल से यमुना में कूदने के बाद कालिय नाग के फणों पर बांसुरी वादन व नृत्य करते हुए हाथ में गेंद लेकर यमुना से प्रकट हुए।
इस अद्वितीय दृश्य में शंख-वादन और नृत्य के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का कालिय दमन का रूप प्रस्तुत किया जो भक्तों के लिए एक अनोखा और अलौकिक अनुभव हुआ।
इस आयोजन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, और यह काशीवासियों के साथ-साथ दूरदराज से आए श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है।
हर वर्ष हजारों लोग इस दिव्य लीला का साक्षी बनने आते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के कालिय नाग के दमन की लीला का दृश्य देखने के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं।
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Naganthaiya in Varanasi
500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास द्वारा आरंभ श्रीकृष्ण लीला गंगा तट के तुलसीघाट पर शाम होते ही शुरू हो गई।
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