Bnp News Desk। Flood in varanasi गंगा का जलस्तर जितनी तेजी से चढ़ा उससे भी अधिक रफ्तार से उतरने लगा है। इससे नाविकों समेत गंगा तट पर रोजी-रोजगार करने वालों के साथ पर्यटन कारोबारियों में सुखद जिंदगानी की उम्मीदें जगने लगी हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ नावों का संचालन बंद है तो घाट पर आना-जाना भी ठप। बाढ़ के कारण सैलानियों ने भी यात्राएं स्थगित कर दी हैं। इससे रोजी -रोटी का इंतजाम भी हरि नाम रह गया था। मणिकर्णिका हो या हरिश्चंद्र घाट, अभी भी शवों के दाह संस्कार की समस्या बनी हुई है। पानी तो घटने लगा है लेकिन दुश्वारियां अभी कम नहीं हुई हैं। गंगा और वरुणा नदियों के आसपास के क्षेत्र, जो अस्सी घाट और नमो घाट के बीच स्थित हैं, अभी भी जलमग्न हैं। पानी सड़कों से सरक चुका है लेकिन घाटों की सीढ़ियां और शवदाह के प्लेटफार्म अभी भी डूबे हुए हैं।
वास्तव में पखवारे भर से सोमवार तक गंगा के जल स्तर में बढ़ाव की रफ्तार पिछले सभी रिकार्ड तोड़ने की आशंका से दहला रही थी, लेकिन उसी दिन रात दस बजे बढ़ाव थम गया। अगले ही दिन से उतार शुरू हुआ तो गुरुवार रात 10 छह बजे खतरे के निशान (71.262 मीटर) से 84 सेंटीमीटर नीचे 70.42 मीटर पर आ गया। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सड़क छोड़ कर सात सीढ़ियां उतर गईं। घटाव की रफ्तार छह सेंटीमीटर बरकरार रही तो माना जा रहा है कि रात भर में पानी चेतावनी बिंदु (70.262) से भी नीचे पहुंच जाएगा।
Flood in varanasi दो सप्ताह के अंतराल पर गंगा के जलस्तर में 15 अगस्त की रात उफान आ गया था जिससे सिर्फ 12 घंटे में 1.56 मीटर की वृद्धि दर्ज की गई थी। यही नहीं चार दिन यानी 18 अगस्त की रात तक वरुणा तटवर्ती मोहल्ले जलाजल हो गए तो 25 अगस्त को दोपहर दो बजे चेतावनी बिंदु तो 26 की रात खतरे का निशान भी गंगा का जलस्तर पार कर गया था। इससे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के सीवेज पंपिप स्टेशन समेत निचले हिस्से में मणिकर्णिका छोर पर बन रहे रैंप से होते पानी घुस गया था। हां, यह जरूर है कि आवागमन वाले क्षेत्र व धाम का गंगा द्वार बाढ़ के उच्चतम बिंदु से ऊपर होने के कारण पूरी तरह सुरक्षित रहा लेकिन बाहरी श्रद्धालुओं व सैलानियों का आवागमन कम हो गया। फिलहाल गंगा मणिकर्णिका की गलियों को छोड़ प्लेटफार्म पर आ गई हैं। यह बात और है कि अभी शवदाह घुड़साल की छत पर हो रहा है।
खेतों से पानी सरक रहा तो अब फसलें सड़ांध मारने लगी हैं
Flood in varanasi गंगा की बाढ़ का पानी तेजी से उतरने लगा। गंगा व वरुणा तटवर्ती इलाकों में पानी सरकने लगा। सामने घाट-रमना की कालोनियों व पुलकोहना आदि मोहल्ले जलाजल जरूर हैं लेकिन जहां चार-छह फीट तक पानी लगा था, आधा हो गया तो कहीं सड़कें जलमुक्त हो गईं। पानी कम होने से बाढ़ का दायरा सिमट रहा जिससे सड़कों-गलियों में कीचड़ दिख रहा। गड्ढों में जहां कहीं पानी भरा है मच्छर भनभना रहे हैं और दुर्गंध अलग से आ रही है। ढाब इलाके में खेतों से पानी सरक रहा तो अब फसलें सड़ांध मारने लगी हैं, दूसरी ओर कटान भी तेज हो गई है। वरुणा तटवर्ती क्षेत्रों में भी पानी सरक रहा और कचड़ा छोड़ रहा। जिले में 21 बाढ़ राहत शिविर चल रहे हैं, जिसमें 874 परिवारों के कुल 4,267 लोग रह रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
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