BNP NEWS DESK। Ban on PFI केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ‘पीएफआई’ के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए इस संगठन पर पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया है। टेरर लिंक एवं दूसरे कई आधार पर पीएफआई के खिलाफ यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। सरकार ने पीएफआई एवं इससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना है। सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि ये आखिरी चोट नहीं है। अभी असल पर्दा उठना बाकी है। क्या पीएफआई, विदेशी खुफिया एजेंसियों का मोहरा बन चुका था, इस संबंध में कई राज खुलने बाकी हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ ने जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठन, हिजबुल मुजाहिदीन को जिस तरह से अपना मोहरा बनाया था, कुछ वैसे ही पीएफआई के तार भी वहां से जुड़ने का खुलासा हो सकता है।
Ban on PFI भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके अलावा पीएफआई से जुड़े आठ अन्य संगठनों पर भी गृह मंत्रालय ने पाबंदी लगा दी है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि इस संगठन के खिलाफ कई ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त था। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि संगठन के सदस्य सीरिया, इराक, अफगानिस्तान में जाकर आईएस जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हुए।
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पीएफआई जैसे संगठन, जिसकी जड़ें भारत में बहुत गहरी थीं, उसे उखाड़ फेंकने का प्लान कैसे तैयार हुआ। आखिर, इतने बड़े एक्शन की तैयारी कब हुई और सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए क्या-क्या किया। यहां हम आपको बताएंगे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध की पूरी कहानी।
पहले जान लें PFI है क्या
पीएफआई के खतरनाक आतंकी मंसूबों की कहानी 1992 के बाबरी विध्वंस से निकली है। मुस्लिम हितों की रक्षा करने के लिए केरल के मुसलमान नेताओं ने 1994 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी NDF की स्थापना की। धीरे-धीरे यह संगठन इस राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करता चला गया और इस संगठन का नाम सांप्रदायिक गतिविधियों से जुड़ता चला गया। 2003 में कोझिकोड में आठ हिंदुओं की हत्या के बाद इस संगठन पर आईएसआई से संबंध होने के आरोप लगे, जो साबित नहीं हो सके। हिंसक गतिविधियों में नाम आने के बाद इस संगठन की चर्चा हर तरफ होने लगी। इसके बाद नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें NDF के अलावा दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय हुआ और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अस्तित्व में आया।
अब जानिए एक्शन की कहानी
Ban on PFI पीएफआई पर इतनी बड़ी कार्रवाई की कहानी अगस्त महीने में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कर्नाटक दौरे से शुरू होती है। यहां शाह एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस कार्यक्रम के बाद अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के बीच एक बैठक होती है और यहीं से पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत होती है। इसके बाद शाह दिल्ली लौटे और तेजतर्रार अधिकारियों की एक टीम तैयार की गई।
अब हुई डोभाल की एंट्री
अगस्त के आखिरी सप्ताह में ही गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(NSA) के बीच एक बैठक होती है। इस बैठक में पीएफआई के खिलाफ पूरी योजना को जमीन पर उतारने का खांका खींचा जाता है। बैठक के बाद पर काम करने के लिए टीमें गठित होती हैं, जिनका काम था- 1. पीएफआई नेटवर्क की मैपिंग, 2. पीएफआई फंडिंग का पता करना और सबूत इकट्ठा करना, 3. पूर्व में हुए सभी दंगों और घटनाओं के खिलाफ फिर से जांच करना।
जब मोदी से मिली हरी झंडी
पीएमओ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्लान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा गया। उनसे हरी झंडी मिलने के बाद डोभाल ने अपना काम शुरू कर दिया। दो सिंतबर को डोभाल पीएम मोदी के साथ केरल पहुंचे। यहां आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी दिल्ली लौट आए, लेकिन डोभाल केरल में रुक गए। यहां उन्होंने केरल के टॉप पुलिस अफसरों के साथ बैठक की। इसके बाद डोभाल मुंबई पहुंचे। यहां भी उन्होंने राजभवन के सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की। महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अधिकारियों से भी बात की। 15 सितंबर को डोभाल ने एनआईए और ईडी के अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे एक्शन की जानकारी दी।
पहले एक्शन में ही तोड़ दी कमर
Ban on PFI अब समय था इस पूरे प्लान को जमीन पर उतारने का। 21 सितंबर को डोभाल ने सभी अधिकारियों को 22 सितंबर की सुबह ही एक्शन का आदेश दे दिया था। सुबह होते ही एनआईए और ईडी की टीमों ने 15 राज्यों के 150 से ज्यादा पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी। ये पीएफआई के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान था। इसके बाद केरल से पीएफआई के 22, महाराष्ट्र से 20, कर्नाटक से 20, तमिलनाडु से 10, असम से नौ, उत्तर प्रदेश से आठ, आंध्र प्रदेश से पांच, मध्य प्रदेश से चार, पुडुचेरी से तीन, दिल्ली से तीन और राजस्थान से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश के आंकड़ों को देखें तो 22 सितंबर को पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
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केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया 'पीएफआई' के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए इस संगठन पर पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
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