BNP News Desk। Raju Srivastava दरअसल, बहुत ही कम लोगों को यह पता है कि राजू श्रीवास्तव का असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव था। आज राजू श्रीवास्तव की नहीं बल्कि उस सत्यप्रकाश की मौत हुई है, जिसके शरीर में राजू श्रीवास्तव रहते थे। आज वो सांस ले रहे होते तो शायद इस बात पर अजीब सा मुंह बनाकर कहते …अच्छा..! राजू श्रीवास्तव की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। वह अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे और उनकी प्रेम कहानी भी बिल्कुल फिल्मी थी।
राजू की पत्नी का नाम शिखा है। इस जोड़े के दो बच्चे अंतरा और आयुष्मान है। उनके फैंस को शायद ही यह बात पता होगी कि राजू श्रीवास्तव को शिखा को देखते ही पहली नजर में प्यार हो गया था। लेकिन राजू को इसके लिए 12 साल का इंतजार करना पड़ा।
दरअसल, राजू ने फतेहपुर में अपने भाई की शादी के दौरान शिखा को पहली बार देखा था और उन्हें दिल दे बैठे थे। तभी उन्होंने फैसला कर लिया था कि शादी करूंगा तो इसी लड़की से करूंगा। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुलासा किया था कि जब उन्हें पता चला कि शिखा उनकी भाभी के चाचा की बेटी हैं तो उन्होंने अपने भाइयों को मना लिया और इटावा आना जाना शुरू कर दिया। वहां जाने के बाद भी वह शिखा से कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
Raju Srivastava इसके बाद वह साल 1982 में वह अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए और यहां काफी संघर्ष भी किया। जीवन में कुछ हासिल करने के बाद उन्होंने शिखा से शादी करने का फैसला किया। वह शिखा को चिट्ठियां लिखा करते थे लेकिन अपनी भावनाएं नहीं बयां कर पाते थे। बाद में, उन्होंने शिखा के घर शादी का प्रस्ताव भेजा और इस जोड़े ने 17 मई, 1993 को शादी कर ली।
जो लोग राजू को करीब से जानते थे वो उनके जीने के फंडों से भी काफी वाकिफ थे। नकारात्मकता को कभी पास न आने देना भी एक कला है और राजू इस कला में माहिर थे। वो कहते थे, जीवन का सही आनंद लेना है… तो भैया जिंदगी की जो भी नकारात्मकता है, उसे सकारात्मक सोच में बदल दो, नहीं तो जी नहीं पाओगे। इसके साथ ही राजू का हमेशा एक और फंडा रहा कि अपनी कमजोरियों और मजबूरियों को छिपाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि इन्हें अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाइए, आप देखेंगे कि आपकी यहीं बातें सकारात्मक रूप ले रही हैं।
एक बार राजू ने कहा था कि लोग आपको चाहे जितना दुत्कारें, फटकारें और गालियां दें। आप धैर्य रखिए और एक हल्की मुस्कान चेहरे पर रखिए। ये आपकी ताकत में अजीब सा इजाफा कर देंगी और आपका आत्मविश्वास और बढ़ जाएगा। राजू हमेशा कहते थे कि अपने काम से प्यार कीजिए क्योंकि यही आपको आपकी पहचान देगा।
इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि आप चाहें जितने बड़े क्यों न हो जाएं अपना परिवार, अपनी जमीन, अपने मोहल्ले, अपने शहर और अपने लोगों से जुड़ाव किसी भी हाल में खत्म नहीं करना चाहिए। क्योंकि यही वो बातें हैं जो संघर्ष के दिनों में आपको मनोबल प्रदान करती हैं।
चलिए अब थोड़ा उनके बारे में जान लेते हैं। जैसा मैंने आपको बताया कि राजू श्रीवास्तव का असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव है। कानपुर के बाबूपुरवा में रहने वाले रमेश चंद्र श्रीवास्तव (बलई काका) के घर राजू ने 25 दिसंबर 1963 में जन्म लिया था।
राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि 1981 में उनके बड़े भाई की शादी फतेहपुर में तय हुई थी। कानपुर से बरात लेकर गए। वहीं शिखा को पहली बार देखा और पहली ही नजर प्यार हो गया। सोचा अब इसी से ही शादी करुंगा।
शिखा के बारे में छानबीन की तो पता चला ये भाभी के चाचा की बेटी हैं। इसके बाद काफी प्रयासों के बाद राजू आखिर उन्हें अपनी पत्नी बनाने में कामयाब हो गए।
अब बताइए जो आदमी सकारात्मक ऊर्जा से इतना भरा हो, जो जीवन को इस नजरिए से देखता हो, क्या वो कभी मर सकता है। इसलिए राजू श्रीवास्तव के लिए इतना ही कहना उचित होगा कि ऐसे लोग कभी नहीं मरते। राजू के लिए रहमान फारिस की दो लाइनें ही कहूंगा।
कहानी खत्म हुई और ऐसी खत्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए..!
The Review
Raju Srivastava
जो लोग राजू को करीब से जानते थे वो उनके जीने के फंडों से भी काफी वाकिफ थे। नकारात्मकता को कभी पास न आने देना भी एक कला है और राजू इस कला में माहिर थे।
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