बीएनपी न्यूज डेस्क। Political Events of Maharashtra, शिवसेना ने आज साफ कर दिया है कि उद्धव ठाकरे फिलहाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। यदि अवसर मिला तो वह विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करके दिखाएंगे। लेकिन दूसरी ओर मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ‘वर्षा’ से निकलने के पहले उद्धव ठाकरे ने वहां मौजूद विधायकों से भावुक होकर यह भी कहा कि जो जाना चाहे, जा सकता है।
बुधवार को दिन भर चली राजनीतिक उठापटक के बीच देर शाम शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने स्पष्ट कर दिया कि किसी ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा देने की सलाह नहीं दी है। राउत ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ एवं बालासाहब थोरात द्वारा उद्धव ठाकरे को दिए गए समर्थन पर उनका आभार भी व्यक्त किया।
राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री को पद की कोई मोहमाया नहीं है। इसलिए वह अब मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला ‘वर्षा’ छोड़कर अपनी निजी निवास ‘मातोश्री’ पर रहने जा रहे हैं। लेकिन राउत का यह बयान आने के कुछ घंटे पहले खुद उन्होंने ही ट्वीट किया था कि महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम विधानसभा भंग करने की ओर बढ़ रहा था।
संजय राउत का यह ट्वीट एवं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का अपना सरकारी बंगला छोड़ना इस बात का संकेत है कि शिवसेना को सत्ता जाने का आभास हो गया है।
लेकिन वह इस्तीफा देकर सत्ता नहीं जाने देना चाहते। वह विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने का मौका छोड़ना नहीं चाहते। यानी संघर्ष करते हुए दिखना चाहते हैं। राउत ने अपने एक ट्वीट में इस बात के भी संकेत दिए हैं। उन्होंने लिखा है कि हां, संघर्ष करेंगे। राउत ने प्रेस से भी बात करते हुए कहा कि हम लड़ने वाले लोग हैं। अंतिम विजय सत्य की ही होगी। लेकिन शिवसेना की बदली रणनीति का कारण विधानसभा उपाध्यक्ष राकांपा का होना है। महाविकास आघाड़ी मान रही है कि यदि विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने की नौबत आई तो उपाध्यक्ष कई तकनीकी कारण बताकर भाजपा और एकनाथ शिंदे के मंसूबों पर पानी फेर सकते हैं, या नई सरकार बनने में अधिक से अधिक विलंब कर सकते हैं। क्योंकि गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे के साथ अभी भी सिर्फ शिवसेना के इतने विधायक नजर नहीं आ रहे हैं कि वे दलबदल कानून का दायरा से बाहर हो गए हों, और अपने समर्थक विधायकों का एक अलग गुट बनाकर उसे ही असली शिवसेना साबित कर सकें।
एकनाथ शिंदे के साथ 20 जून की रात सूरत गए विधायकों में से कुछ वापस उद्धव के खेमे में लौट चुके हैं। इसलिए उद्धव को यह उम्मीद भी है कि उनकी भावनात्मक अपील काम कर गई तो शिंदे के खेमे में गए कुछ विधायक और वापस आ सकें तो शिंदे को दलबदल कानून का दायरा तोड़ने में मुश्किल हो सकती है।
बागी शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे द्वारा वर्तमान शिवसेना के हिंदुत्व के एजेंडे से हटने का आरोप लगाया गया है। बुधवार को सांसद भावना गवली ने भी इसी ओर इशारा करते हुए एक पत्र उद्धव ठाकरे को लिखा है। उद्धव ने अपने संबोधन में हिंदुत्व के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये बालासाहब ठाकरे वाली शिवसेना है या नहीं ? ये हिंदुत्व पर चलनेवाली शिवसेना है या नहीं ? ये सवाल उठाने वाले लोगों को समझ लेना चाहिए कि शिवसेना और हिंदुत्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता। हिंदुत्व के मुद्दे पर विधानसभा में बात करनेवाला मैं अकेला मुख्यमंत्री था। हम हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर अयोध्या गए। कुछ दिन पहले आदित्य ठाकरे (उद्धव के पुत्र) भी कई विधायकों, सांसदों एवं शिवसैनिकों के साथ अयोध्या जाकर आए। बालासाहब के विचारों को हम ही आगे लेकर जा रहे हैं।
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