BNP NEWS DESK। William Engdahl सेंटर फार रिसर्च आन ग्लोबलाइजेशन के एफ. विलियम एंगडाहल ने दावा किया है कि घटनाओं की शृंखला बताती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका और इग्लैंड ने एक अभियान शुरू किया है।
William Engdahl के मुताबिक, वर्तमान भू-राजनीति परिस्थितियों में भारत के प्रधानमंत्री मोदी के रुख से अमेरिका और यूरोपीय देश खुश नहीं हैं। उनके अनुसार, यूक्रेन युद्ध को लेकर वाशिंगटन और यूरोपीय संघ ने रूस पर अभूतपूर्व आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं, लेकिन भारत रूस का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक साझीदार बना हुआ है। ऐसे में रूस के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबंध प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट, बीबीसी डाक्यूमेंट्री व सोरोस का बयान देते हैं संकेत
एंगडाहल के लेख में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार और ब्रिटेन के बार-बार के प्रयासों के बावजूद मोदी ने रूसी व्यापार के विरुद्ध प्रतिबंधों में शामिल होने से इन्कार कर दिया है। इसी प्रकार मोदी के नेतृत्व में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर रूसी हमले के विरुद्ध वाशिंगटन का साथ देने से भी परहेज किया है।
बार-बार परिणाम भुगतने की अमेरिकी धमकियों के बावजूद भारत ने बड़े पैमाने पर रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों को मानने से इन्कार किया है। ब्रिक्स का सदस्य होने के अलावा भारत रूसी रक्षा उपकरणों का एक प्रमुख खरीदार भी है। इसके कारण भी एंग्लो-अमेरिकन समूह मोदी सरकार से असंतुष्ट है।
एंगडाहल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जनवरी में मोदी और उनके प्रमुख वित्तीय समर्थक पर एक एंग्लो-अमेरिकन हमला शुरू किया गया। उनके मुताबिक, वाल स्ट्रीट वित्तीय फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (इस पर अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी के साथ संबंध होने का संदेह है) ने जनवरी में मोदी के निकटस्थ कहे जाने वाले अरबपति गौतम अदाणी को निशाना बनाया।
इससे अदाणी समूह को 120 अरब डालर से अधिक का नुकसान हुआ। लेख के मुताबिक, हिंडनबर्ग के पास मोदी से करीबी संबंध रखने वालों की खुफिया जानकारी हो सकती है। इसी आधार पर हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह को निशाना बनाया।
भारत में लोकतंत्र है, लेकिन इसके नेता नरेन्द्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं
जब अदाणी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई, तभी जनवरी में ब्रिटिश सरकार के स्वामित्व वाली बीबीसी ने एक डाक्यूमेंट्री जारी की जिसमें 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों में मोदी की भूमिका का आरोप लगाया गया था, जब वह वहां के मुख्यमंत्री थे।
एंगडाहल के मुताबिक, बीबीसी की रिपोर्ट ब्रिटेन के विदेश कार्यालय द्वारा बीबीसी को दी गई अप्रकाशित खुफिया जानकारी पर आधारित थी।
लेख के मुताबिक, एक और संकेत मिलता है कि वाशिंगटन और लंदन भारत में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं।
92 वर्षीय अमेरिकी उद्योगपति जार्ज सोरोस ने 17 फरवरी को वार्षिक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि अब मोदी के गिने-चुने दिन हैं। उन्होंने कहा, भारत में लोकतंत्र है, लेकिन इसके नेता नरेन्द्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं।
सोरोस ने कहा कि एक तरफ भारत क्वाड (जिसमें आस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान भी शामिल) का सदस्य है, लेकिन यह रूस से भी बहुत घनिष्ठ संबंध रखते हुए व्यापार कर रहा है और तेल खरीद रहा है। सोरोस ने कहा कि वह भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुद्धार की उम्मीद करते हैं।
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William Engdahl सेंटर फार रिसर्च आन ग्लोबलाइजेशन के एफ. विलियम एंगडाहल ने दावा किया है कि घटनाओं की शृंखला बताती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका और इग्लैंड ने एक अभियान शुरू किया है।
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