बीएनपी न्यूज डेस्क। 37 साल के बाद उत्तर प्रदेश में कोई सरकार दोबारा सत्ता में वापस लौटी है। भाजपा के इस शानदार प्रदर्शन के पीछे पूर्वांचल के मतदाताओं का भी योगदान कम नहीं है। भाजपा गठबंधन ने इस बार वाराणसी, आजमगढ़, मीरजापुर मंडल की 61 सीटों में से 29 सीटें जीती हैं। बावजूद इसके तीनों मंडलों के कई जनपदों के सामने इस बार नए मंत्रिमंडल में स्थान मिलना संदिग्ध हो गया है। कारण कि गाजीपुर और आजमगढ़ दो जनपद ऐसे हैं जहां भाजपा गठबंधन को एक भी सीट नहीं मिली है। इन जनपदों से पूर्व में मंत्री रहे तीन चेहरे इस बार चुनाव हार चुके हैं तो मऊ के घोसी से एकमात्र जीते वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान चुनाव के पहले ही पार्टी बदल चुके हैं। पिछली बार पूर्वांचल के तीन मंडलों वाराणसी, आजमगढ़, मीरजापुर में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं और 10 मंत्री बनाए गए थे। इस बार आजमगढ़ व गाजीपुर में भाजपा का खाता ही नहीं खुला है। मऊ और जौनपुर में भाजपा के एक-एक विधायक ही जीत सके हैं।
गाजीपुर से मंत्री रहीं संगीता बलवंत और बलिया जनपद से मंत्री रहे उपेंद्र तिवारी तथा आनंद स्वरूप चतुर्वेदी इस बार जीत ही नहीं सके। पिछली सरकार में मंत्री रहे वाराणसी के अनिल राजभर, रवींद्र जायसवाल, नीलकंठ तिवारी, जौनपुर के गिरीश चंद्र यादव, सोनभद्र के संजीव गोंड और मीरजापुर के रमाशंकर पटेल इस बार भी चुनाव जीते हैं। इधर चर्चा यह भी है कि इनमें प्रदर्शन के आधार पर कुछ चेहरे बदले भी जा सकते हैं। लोगों का कयास है कि पिछली सरकार में मंत्री रहीं स्वाती सिंह के पति, बलिया नगर से जीते दयाशंकर सिंह और नेता प्रतिपक्ष रहे सपा के दिग्गज रामगोविंद चौधरी को बांसडीह में हराने वालीं केतकी सिंह मंत्रिमंडल में नया चेहरा हो सकती हैं।
मऊ में भाजपा को एकमात्र मधुबन सीट पर जीत मिली है, वहां बिहार के राज्यपाल कद्दावर पिछड़े नेता रहे फागू चौहान के पुत्र रामविलास चौहान ने भगवा पताका फहराया है। चर्चा यह भी है कि सामाजिक समीकरण साधने के लिए दारा चौहान की जगह रामविलास को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। वहीं संगठन के कुछ सूत्र इस पर संशय भी जताते हैं। उनका कहना है कि पिता को बड़ा ओहदा मिला है तो शायद ही पुत्र को स्थान मिले।
उच्च सदन से की जा सकती है प्रतिनिधित्व की भरपाई सांगठनिक सूत्रों का कहना है कि कोई आवश्यक नहीं है, फिर भी भाजपा विधायक शून्य जनपदों को मंत्रिमंडल में स्थान यदि सरकार देना ही चाहे तो उच्च सदन से भी किसी को शामिल किया जा सकता है। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ के लिए अपनी विधान परिषद सीट छोड़ने वाले आजमगढ़ से एमएलसी पूर्व मंत्री यशवंत सिंह समेत गाजीपुर से एमएलसी चंचल सिंह आदि ऐसे चेहरे हो सकते हैं।
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