BNP NEWS DESK Role of mayors and councilors बहुप्रतीक्षित शहरी सुधारों के लिए केंद्र सरकार ने नए सिरे से पांच कार्यसमूहों का गठन किया है। ये कार्यसमूह राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर सुधारों की सिफारिशें देने के साथ ही सरकारी और सरकार नियंत्रित निगमों की भूमिका को फिर से परिभाषित करेंगे। संभवत: यह पहली बार है जब शहरी सुधारों के मामले में राजनीतिक स्तर पर भी सुधार की कवायद की जा रही है। इसका मतलब है कि मेयर जैसी संस्था की जिम्मेदारी, जवाबदेही, भूमिका, कार्यकाल, उनकी शक्तियां और यहां तक कि पार्षदों के कामकाज की समीक्षा की जाएगी।
Role of mayors and councilors राजनीतिक स्तर पर सुधार से संबंधित कार्यसमूह की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के प्रधान सचिव (शहरी विकास) केएच गोविंदराज को दी गई है, जबकि प्रशासनिक सुधार से संबंधित समूह के अध्यक्ष गुजरात के प्रधान सचिव अश्विनी कुमार होंगे। इसी तरह प्रशासनिक सुधारों के एजेंडे में शहरी सुविधाओं से जुड़ी सभी एजेंसियों को एक बिंदु पर लाना शामिल है। यह वह समस्या है जिसे विशेषज्ञ शहरों की बदहाली का सबसे बड़ा कारण मानते हैं। ट्रैफिक, सफाई, सीवर, पानी आदि की जिम्मेदारी अलग-अलग विभागों के पास होने के कारण किसी की जिम्मेदारी ही तय नहीं हो पाती है।
केंद्र सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब यह चर्चा चल रही है कि शहरी विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से फिलहाल कोई नई योजना अथवा मिशन लांच नहीं किया जाएगा। दैनिक जागरण ने पिछले दिनों यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि सुधारों समेत शहरी विकास के आगे के कार्यक्रमों के लिए 16वें वित्त आयोग की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
कार्यसमूहों के गठन संबंधी आदेश में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने माना है कि अब तक शहरी विकास के लिए जो भी कार्यक्रम चलाए गए हैं, वे मुख्य रूप से शहरी सेवाओं की डिलीवरी सिस्टम के रेखांकन तक सीमित रहे हैं। इनके जरिये डिलीवरी सिस्टम के छूटे हुए बिंदुओं को भरने का काम किया गया है। शहरी शासन में ढांचागत सुधारों की शुरुआत पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, जो मौजूदा ढांचे में संपूर्ण बदलाव ला सकते। इसलिए यह जरूरी है कि शहरी सुधारों का लक्ष्य हासिल करने के लिए वास्तविक बदलाव लाने वाले उपाय किए जाएं।
पांचों समूहों में राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। सभी से तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इसके बाद केंद्र सरकार शहरी सुधार के अपने एजेंडे पर आगे बढ़ेगी। सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सातत्य यानी उनके बीच की कड़ियों पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए अलग समूह बनाया है। इसके अतिरिक्त पांचवां कार्यसमूह स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण पर अपनी सिफारिशें देगा।
इन समूहों को सहारा देने की जिम्मेदारी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स को दी गई है। कार्यसमूहों से कहा गया है कि वे आदर्श नगरीय अधिनियम, नियुक्ति नियम, एचआर नीति, ग्रामीण-शहरी रूपांतरण के लिए आदर्श फ्रेमवर्क और योजनाओं को तैयार करने की प्रक्रिया पर अपने सुझाव दें।
विशेषज्ञों की राय
शहरी नीतियों पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदारी के बिना सिफारिशों का कोई मतलब नहीं होगा। शहरी विकास में लोगों की भागीदारी की दिशा में काम होना चाहिए। यही पिछले सप्ताह विश्व अर्बन फोरम में भी रेखांकित किया गया। विशेषज्ञों ने कार्यसमूहों के गठन में पारदर्शिता के अभाव पर भी चिंता जताई है और कहा है कि रिटायर्ड अफसरों और अपनी पसंद के राजनीतिक व्यक्तियों के चयन से दीर्घकालिक नतीजे शायद ही हासिल हों।
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बहुप्रतीक्षित शहरी सुधारों के लिए केंद्र सरकार ने नए सिरे से पांच कार्यसमूहों का गठन किया है।
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