BNP NEWS DESK। Vikrami Navsamvatsar नवसंवत्सर विक्रम संवत यानी हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदयातिथि के अनुसार नौ अप्रैल से होने जा रहा है। इसके साथ सौर सृष्टि की सत्ता में परिवर्तन होगा और आकाशीय शासन व्यवस्था राजा मंगल के हाथों में आ जाएगी। उनके मंत्री के रूप में शनि सृष्टि का कल्याण करेंगे। साथ ही सृष्टि निर्माण के एक अरब 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार 125 वर्ष पूर्ण होंगे और कलियुग के आरंभ हुए 5125 सौर वर्ष व्यतीत हो जाएंगे। पिंगला शोभकृत नामक इस विक्रमी नवसंवत्सर के साथ ही शक संवत 1946 भी आरंभ होगा।
Vikrami Navsamvatsar हिंदू नववर्ष के साथ ही आदिशक्ति की आराधना-उपासना का महापर्व वासंतिक नवरात्र आरंभ होगा।
प्रतिपदा आठ अप्रैल सोमवार की रात 11.55 बजेलग रही है लेकिन उदयातिथि में प्रतिपदा मंगलवार को मिलने से नवसंवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। मंत्रिमंडल में मंगल धनेश व शस्येश के तथा शनि दुर्गेश व मेघेश के रूप में तीन-तीन विभागों की कमान संभालेंगे। धान्येश चंद्रमा, रस्येश बृहस्पति होंगे।
पंचांग श्रवण कर करें पूजन-अर्चन, लहराएं ध्वज-पताका
सृष्टि आरंभ का यह दिन अनेक रूपों में महत्वपूर्ण है। एक अरब 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार 125 वर्ष पूर्व ब्रह्माजी ने रविवार के दिन सृष्टि की रचना आरंभ की थी। सनातन धर्मावलंबियों को इस तिथि में स्नानादि से निवृत्त हो नूतन वस्त्राभूषण धारण कर, भाल पर तिलक लगा पंचांग श्रवण करना चाहिए।
तिथि श्रवण से राज्य अचल रहता है। मंत्री नाम के फल का श्रवण से कार्य में कुशलता आती है। धान्येश नाम के श्रवण से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं, मेघेश नाम के श्रवण से वर्षा अच्छी होती है। पंचांग श्रवण के पश्चात गणेश पूजन, देवी पूजन, सरस्वती पूजन कर घर के बाहर या छत पर ओम् अंकित केसरिया ध्वज लगाना चाहिए।
परिवार आरोग्यता के लिए खाएं नीम का चूर्ण
ऋतु परिवर्तन के इस काल में वर्षपर्यंत परिवार के आरोग्य हेतु नववर्षारंभ पर नीम की कोमल पत्तियों व पुष्पों का चूर्ण खाने की बात शास्त्रों में वर्णित है। नीम की पत्तियों व मंजरियों संग काली मिर्च, नमक, हींग-जीरा-अजवाइन का चूर्ण ग्रहण करना चाहिए। पवित्र भाव से देवी आराधना करनी चाहिए।
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Vikrami Navsamvatsar नवसंवत्सर विक्रम संवत यानी हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदयातिथि के अनुसार नौ अप्रैल से होने जा रहा है।
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