BNP NEWS POST। E-Commerce Policy गत 24 अगस्त को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि बड़ी ई-कामर्स कंपनियों की गैर प्रतिस्पर्धात्मक नीतियों की वजह से छोटे-छोटे खुदरा दुकानदारों की दुकानदारी चौपट हो रही है।
E-Commerce Policy उनके इस बयान के बाद रिटेल दुकानदारों में एक उम्मीद जगी थी कि इस बार ई-कामर्स कंपनियों की तरफ से त्योहारी सीजन में लगाई जाने वाली जबरदस्त छूट वाली सेल से पहले सरकार इस संबंध में कोई नीति लेकर आएगी।
ई-कामर्स कंपनियों पर अंकुश लगेगा
माना जा रहा था कि इससे ई-कामर्स कंपनियों पर अंकुश लगेगा और रिटेल दुकानदारों को त्योहार में कारोबार बढ़ाने का मौका मिलेगा। हालांकि देश में काम करने वाली दो सबसे बड़ी ई-कामर्स कंपनियां अमेजन और फ्लिपकार्ट ने हर साल की तरह इस साल भी बिग बिलियन सेल या त्योहारी बिक्री चालू कर दी है। E-Commerce Policy
जिसके तहत मोबाइल फोन व अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के साथ बाइक तक की बिक्री भारी छूट के साथ की जा रही है।
उपभोक्ता वस्तुओं को भारी छूट के साथ बेचने पर रोक
मंगलवार को कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा) ने एक बार फिर से खुदरा व्यापारी और उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए जल्द से जल्द ई-कामर्स नीति की घोषणा की मांग की। ताकि उपभोक्ता वस्तुओं को भारी छूट के साथ बेचने पर रोक लगाई जा सके। E-Commerce Policy
दोनों ही एसोसिएशन की तरफ से ई-कामर्स कंपनियों पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच रिपोर्ट के आधार पर एक श्वेत पत्र जारी किया गया। सीसीआइ ई-कामर्स की बड़ी कंपनियों पर कारोबारी नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना भी लगा चुकी है।
श्वेत पत्र के मुताबिक ई-कामर्स कंपनियां बिक्री के दौरान कुछ चुनिंदा कंपनियों के उत्पादों को प्लेटफार्म पर बिक्री में तरजीह देती है। बैंकों के साथ मिलकर कैशबैक के तहत विशेष छूट और अन्य माध्यम से खुदरा बाजार के मुकाबले काफी कम दाम में उत्पादों की बिक्री करती हैं।
जो कारोबारी नियमों के खिलाफ है। हालांकि इससे उपभोक्ताओं को फायदा होता है।
पिछले चार साल से बन रही है ई-कामर्स नीति
पिछले चार साल से भी अधिक समय से उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) ई-कामर्स नियम बनाने में जुटा है, लेकिन इसकी घोषणा नहीं की जा सकी है।
डीपीआइआइटी सूत्रों के मुताबिक ई-कामर्स नीति तैयार है। इस साल जून में सरकार गठन से पहले ही गोयल ने स्वयं कहा था कि ई-कामर्स नीति का एलान वे जल्द करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसी ई-कामर्स नीति लाएंगे जो खुदरा व्यापारियों को भी कारोबार का समान अवसर देगा। अभी देश के खुदरा कारोबार में ई-कामर्स की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत है जो वर्ष 2030 तक 27 प्रतिशत होने का अनुमान है।
विभिन्न एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक ई-कामर्स की वजह से आफलाइन खुदरा कारोबारी खासकर मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं के कारोबार में 10 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है।
नियमों के आभाव में कार्रवाई से बच जाती हैं ई-कामर्स कंपनियां
जानकारों के मुताबिक ई-कामर्स कंपनियों के लिए किसी नीति और नियामक के अभाव में उन पर कारोबारी नियम प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाता है। ये कंपनियां करोड़ों उपभोक्ताओं के डाटा को भी इकट्ठा करती हैं और उसका अपने हिसाब से उपयोग करती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी नीति और नियामक के अभाव का फायदा ई-कामर्स कंपनियां उठा रही हैं। नीति निर्धारण के बाद वे एक नियम के तहत व्यापार करने के लिए विवश होंगी।
The Review
E-Commerce Policy
बड़ी ई-कामर्स कंपनियों की गैर प्रतिस्पर्धात्मक नीतियों की वजह से छोटे-छोटे खुदरा दुकानदारों की दुकानदारी चौपट हो रही है।
Discussion about this post