एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान तहखाने के कुछ हिस्से में मलबा पड़ा मिला। सफाईकर्मियों ने कुछ मलबे को हटाया जरूर लेकिन अभी काफी बाकी है। इसी तहखाने में एक हिस्से में लकड़ियों के बड़े-बड़े बोटे रखे हैं तो कमरेनुमा एक हिस्सा ईंट की दीवार से बंद दिखा। इसमें क्या है किसी को नहीं पता। इन दीवारों के बीच में एक दरवाजा नजर आता है जिसे खोलना संभव नहीं हो पाया। इसकी बनावट ऐसी लगती है जैसे एक खाली हिस्से को दीवारों से बंद किया गया है। यह गुंबद के नीचे है। नंदी के सामने तहखाने के एक भाग में जमा मलबे को हटाने पर पर उसमें कलश पात्र मिला। कई जगहों पर कलाकृतियों के मिलने की बात भी कही जा रही है। वादी व प्रतिवादी पक्ष ने इस पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल होने के बाद स्पष्ट होगा।
भीषण गर्मी को देखते सबसे पहले गुंबद का निरीक्षण शुरू हुआ। पहले दोनों छोटे गुंबद उसके बाद बीच के बड़े गुबंद के भीतरी हिस्से के कोने-कोने को कैमरों में कैद किया गया। फिर गुंबद की छत पर पहुंचकर बाहरी हिस्सों का निरीक्षण किया। इसके लिए कैमरामैन ने ड्रोन की मदद ली। यहां से सभी नीचे आ गए और जहां इबादत होती है उसके कोने-कोने की फोटो व वीडियोग्राफी हुई। इसके बाद सभी ने तहखाने की तरफ रुख किया। एक दिन पहले जिन चार कमरों तक टीम पहुंची थी उसे छोड़कर दूसरे हिस्सों की जांच-परख शुरू हुई। लेकिन यहां काफी बाधाएं थीं। कुछ भाग में मलबा भरा हुआ था तो एक में लकड़ियों का ढेर लगा था। नंदी के ठीक सामने मिट्टी का ढेर लगा हुआ है। दो दर्जन सफाइकर्मियों को बुलाकर मिट्टी को हटाने का प्रयास किया गया। समय की बाध्यता और मिट्टी का बड़ा ढेर होने की वजह से पूरी सफाई नहीं हो सकी। जितनी हुई उतने में ही जो मिला उसे ही कैमरे में कैद किया तब तक 12 बज चुका था। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही को रोक दिया गया।
एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में शामिल होने वाले 52 लोगों के आने का सिलसिला सुबह सात बजे से ही शुरू हो गया था। वादी पक्ष की चारों महिलाएं मंजू व्यास, सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी अलग-अलग ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुईं। वादी पक्ष के वकील विष्णु जैन, सुधीर त्रिपाठी के साथ अन्य और प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वकील अभयनाथ यादव, मुमताज अहमद, रईस अहमद, तौहीद खान, मेराजुद्दीन के साथ पहुंचे। प्रशासन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता महेन्द्रनाथ पांडेय, वकील अरुण त्रिपाठी भी समय से आ गए। एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा, विशाल सिंह व अजय प्रताप सिंह के ज्ञानवापी परिसर पहुंचते ही कागजी कार्यवाही पूरी की गई और तय समय आठ बजे से कमिश्नर की कार्यवाही शुरू हुई। वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर कुछ अन्य जगहों की वीडियो व फोटोग्राफी करना चाहते हैं इसलिए सोमवार को भी कार्यवाही करने का प्रस्ताव रखा गया। रिपोर्ट 17 मई को न्यायालय में दी जानी है। एक दिन अतिरिक्त होने की वजह से किसी पक्ष ने आपत्ति नहीं की और सोमवार को भी कार्यवाही करने पर राजी हो गए। अब तक हुई कार्यवाही से वादी पक्ष बेहद उत्साहित है। उनका कहना है कि वाद दाखिल करते समय जो दावे उन्होंने किए थे उससे कहीं ज्यादा मस्जिद परिसर में देखने को मिल रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे खारिज करता है।
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