BNP NEWS DESK। Third Monday of Sawan मैदागिन से गोदौलिया के आगे तक और दशाश्वमेध घाट से शीतला घाट होते बाबा दरबार तक श्रद्धालुओं की अटूट कतार, सड़कों पर तिल रखने की जगह नहीं, हर-हर महादेव, बोल-बम के उद्घोष से गूंजता वातावरण, कहीं डमरू निनाद तो कहीं शंख, घंटा-घड़ियाल की ध्वनि, कांवरियों के केसरिया बानों से रंगीन हुई काशी यह दृश्य रहा सावन के तीसरे सोमवार को।
सबने बाबा दरबार में पहुंच शीश नवाया, साथ में लाया गंगाजल
किसी के हाथ में लुटिया, किसी के कलश और बेलपत्र-धतूरों, भंग, बैजंती माल से भरी डलिया, सभी कतारों में लगे धूप-गर्मी की चिंता से परे, बस बाबा के दर्शन को उत्सुक थे। अपनी बारी आने पर सबने बाबा दरबार में पहुंच शीश नवाया, साथ में लाया गंगाजल, गो-दुग्ध चढ़ाया और दर्शन मात्र से जीवन को धन्य मान प्रफुल्लित हृदय ले आगे बढ़ा।
श्रीकाशी विश्वनाथ गली के व्यापारियों ने परंपरानुसार तीसरे सोमवार को नागकेसर मिश्रित 84 घाटों, 12 कुंडों के जल से काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया। मंगला आरती से शयन आरती तक लगभग तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अर्धनारीश्वर स्वरूप में बाबा का दर्शन-पूजन अभिषेक किया।
श्रीकाशी विश्वनाथ शंभूशरण ने पुष्पवर्षा कर भक्तों का स्वागत किया
देवाधिदेव आदिदेव, औघड़दानी, आशुतोष भोले भगवान शिव के अतिप्रिय माह सावन के तीसरे सोमवार को बाबा का अभिषेक करने के लिए रविवार की रात से ही श्रद्धालु गंगा स्नान कर कतार में लग गए थे। पूरी रात मंगला आरती की प्रतीक्षा में कटी। सोमवार की भिनसारे मंगला आरती के बाद जब बाबा दरबार का पट खुुला तो श्रद्धालुओं में आस्था व हर्षातिरेक मिश्रित उत्साह दौड़ गया, पूरा परिसर हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा।
परंपरानुसार तीसरे सोमवार को बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का अर्धनारीश्वर स्वरूप में श्रृृंगार किया गया था, जिसका झांकी दर्शन कर श्रद्धालु कृतकृत्य हो उठे। पूरे दिन अटूट कतार में लगे श्रद्धालु आस्था से सराबोर बाबा का दर्शन-अभिषेक करते रहे। मंदिर के सभापति मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा, मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र, उपजिलाधिकारी श्रीकाशी विश्वनाथ शंभूशरण ने पुष्पवर्षा कर भक्तों का स्वागत किया।
डमरूओं के डिम-डिम निनाद की गड़गडाहट व शंखध्वनि के साथ पहुंचे व्यापारी
परंपरा के अनुसार तीसरे सोमवार को श्रीकाशी विश्वनाथ गली के व्यापारी डमरूओं के डिम-डिम निनाद की गड़गडाहट व शंखध्वनि के साथ बाबा दरबार पहुंचे।
जलाभिषेक शोभायात्रा के पूर्व 11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा काशी के 84 घाटों के साथ अति प्राचीन 12 पौराणिक कुंडों क्रमशः चक्र-पुष्करणी (मणिकर्णिका घाट), लोलार्क कुंड (अस्सी), कुरुक्षेत्र कुंड (भदैनी-अस्सी), क्री-कुंड (रवींद्रपुरी कालोनी), मंदाकिनी कुंड (कंपनीबाग), दुर्गाकुंड (दुर्गामंदिर), रामकुंड (श्री नगर कालोनी), लक्ष्मीकुंड (लक्सा), सूरजकुंड (पानदरीबा), पितरकुंडा (लल्लापुरा), पिशाचमोचन (मलदहिया), द्वारकाकुंड (शंकुलधारा) के जलों के कलशों का पूजन किया गया।
इसके पश्चात व्यापारी बंधु व परिवार की महिलाएं-पुरुष कलशों को लेकर जलाभिषेक को प्रस्थान किए। मुख्य अतिथि शहर दक्षिणी विधायक, पूर्व मंत्री डा.नीलकंठ तिवारी रहे। श्रीअन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज ने अपना आशीर्वाद दिया।
The Review
Third Monday of Sawan
Third Monday of Sawan मैदागिन से गोदौलिया के आगे तक और दशाश्वमेध घाट से शीतला घाट होते बाबा दरबार तक श्रद्धालुओं की अटूट कतार, सड़कों पर तिल रखने की जगह नहीं
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