BNP NEWS DESK। Madan Mohan Malviya काशी हिंदू विश्वविद्यालय को पहली बार महामना पंडित Madan Mohan Malviya से संबंधित एक लाख से ज्यादा विशेष दस्तावेज मिले हैं। जैसे कि मालवीय जी की चिट्ठियां, प्रतियां, पत्रिकाएं और अखबारों के कतरन आदि। साथ ही, 10 हजार पन्नों में महामना मालवीय जी खुद प्रत्यक्ष रूप से मौजूद हैं। वहीं, उनसे जुड़े हजारों खास फोटो भी देखने को मिलेंगे।
आप जब इन दस्तावेजों का अध्ययन करेंगे, तो पाएंगे कि आजादी के आंदोलन और विश्वविद्यालय की पठन-पाठन गतिविधियां दोनों साथ-साथ चल रहीं हैं। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। मालवीय आंदोलन के दौरान बड़े विद्वत, योग्य और ओजस्वी लोगों से मिलते थे। उन्हें वहां से आमंत्रित कर बीएचयू में प्रोफेसर, अधिकारी या विजिटर बनाकर लाते थे। उन्होंने कुलपति रहते हुए 19 साल तक बीएचयू की व्यवस्थाएं इसी तरह से चलाईं हैं। अंग्रेजी हुकूमत में एक प्राइवेट खर्च के विश्वविद्यालय चला पाना संभव नहीं था, मगर मदन मोहन जी ने यह जिम्मेदारी को बड़ी आसानी से निभा ली।
विश्वविद्यालय निर्माण से लेकर प्रोफेसरों की नियुक्तियों तक के डॉक्यूमेंट
इंग्लैंड के इंडिया हाउस से लेकर कोलकाता, महाराष्ट्र, मद्रास, दिल्ली, बीकानेर स्टेट, बिहार मिलाकर कई राज्यों में जा-जाकर ये दुर्लभ चिट्ठियां-पत्रियां इकट्ठा की गईं हैं। इसमें आपको विश्वविद्यालय निर्माण से लेकर प्रोफेसरों की नियुक्तियों तक के डॉक्यूमेंट मिलेंगे। वहीं गोलमेज, असहयोग, चौरी-चौरा, जलियांवाला बाग हत्याकांड की रिपोर्ट और फोटोग्राफ भी देखने को मिलेंगे। मालवीय जी राजे-महराजे से जो चंदे की अपील कर रहे हैं, उसके भी रिकार्ड हैं। विश्वविद्यालय बनाने वाले जमीन के दस्तावेज हैं।
कभी भी पद को लेकर कोई अभिमान नहीं किया
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, लेकिन उन्होंने कभी भी पद को लेकर कोई अभिमान नहीं किया। साथ ही शिक्षकों, छात्रों आदि से उनका संवाद बना रहे, इस वजह से परिसर में स्थित मालवीय भवन में निवास स्थल बना दिया। 1920 से 1946 तक यहां रहने के दौरान महामना ने विश्वविद्यालय की स्थापना के विस्तार के साथ ही यहां पठन-पाठन, दीक्षांत समारोह सहित अन्य आयोजनों को लेकर न केवल बैठकें की बल्कि विश्वविद्यालय हित में लिए जाने वाले कई अहम निर्णयों का गवाह भी मालवीय भवन बना।
महामना की अलग-अलग प्रेरणादायी तस्वीरें लगाई गई
कुलपति आवास के ठीक बगल में बने मालवीय भवन में आज भी महामना की यादें बसी हैं। इसी भवन में महामना हर दिन साधना भी करते थे। मालवीय भवन में विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद इसके संचालन, विस्तार आदि को लेकर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा देश-विदेश में किए गए भ्रमण, कुछ प्रमुख लोगों से बातचीत, बैठकों, कार्यक्रमों में शामिल होने की तस्वीर भी संरक्षित की गई है। साथ ही मालवीय भवन में प्रवेश करने के बाद एक कमरे में 25 साल से लेकर 75 साल तक की अवस्था की महामना की अलग-अलग प्रेरणादायी तस्वीरें भी लगाई गई हैं। इन सबके अलावा महामना की तबीयत खराब होने के बाद उनसे मिलने मालवीय भवन आए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर भी लगी है। इससे यह लगता है कि महामना के मालवीय भवन में रहने के दौरान कई महापुरुषों का आगमन भी हुआ।
मालवीय भवन में आज भी महामना की यादें बसी
दो मंजिला इस भवन में कुल 14 कमरे बने हुए हैं। भूतल पर बने बने छह कमरों में मालवीय जी के रहने और कार्यालय की व्यवस्था थी। बाकी के चार कमरों में परिवार की महिलाएं रहा करती थीं। इसके अलावा ऊपर के चार कमरें में उनके बेटे रहते थे।
छत से मां गंगा का करते थे दर्शन
मालवीय जी रोजाना भवन के इसी हिस्से से मां गंगा का दर्शन किया करते थे। उस जमाने में गंगा की धारा बीएचयू के बहुत करीब से गुजरती थी। आज कई किमी का फासला हो चुका है।
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