BNP NEWS DESK। Encounter in Varanasi वाराणसी में मुठभेड़ में दो बदमाशों की मौत के बाद जो जानकारी पुलिस को मिली वह काफी चौंकाने वाली थी। दरअसल दोनों बदमाश सगे भाई निकले। जो फरार हुआ वो भी इनका बड़ा भाई ही था।
Encounter in Varanasi मुठभेड़ में ढेर दोनों बदमाशों का बड़ा आपराधिक इतिहास रहा है। पिछले एक दशक से बिहार के समस्तीपुर समेत अन्य जिलों में इनकी दहशत थी। तीन माह पूर्व नौ सितंबर 2022 को पटना बाढ़ जिला जज की कोर्ट से पेशी के दौरान शौचालय की दीवार फांदकर फरार हुए थे। तब से वे मंडुवाडीह में रह रहे थे। अब सवाल ये है कि उन्होंने नौ नवंबर को रोहनिया के दरेखूं गांव में बावर्दी दरोगा अजय यादव को गोली क्यों मारी। इसकी बड़ी वजह सामने आई है।
बेटों का शव लेने से पिता का इंकार
Encounter in Varanasi वाराणसी में मुठभेड़ में मारे गए मनीष और रजनीश के पिता शिवशंकर सिंह ने कहा “दोनों सक्रिय अपराधी थे, कभी घर नहीं आते थे। हमारा उनसे कोई लेना देना नहीं है। और न हम उनका शव लेने वाराणसी जायेंगे” ।
वाराणसी पुलिस की कार्यवाही में ढेर हुए समस्तीपुर बिहार के मनीष और रजनीश के पिता ने अपने सगे पुत्रों का शव लेने से इंकार किया। बिहार के स्थानीय थाने मोहिनुद्दीनगर को वाराणसी की बड़ागांव पुलिस ने भेजा था नोटिस।
बिहार पुलिस ने जब मृतक भाइयों के गांव में परिवार को थमाया नोटिस तब पिता ने लिखित जवाब देते हुए, शव लेने से इंकार कर दिया। पिता ने कहा कि पुत्रों से कोई संबंध नहीं था, वे कभी घर भी नहीं आते रहे।
निर्माणाधीन मकान के पास तीनों बदमाश उन पर टूट पड़े थे
Encounter in Varanasi पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश के मुताबिक लक्सा थाने में तैनात दरोगा अजय यादव से पिस्टल लूटना बदमाशों का मुख्य ध्येय था। जगतपुर – दरेखू स्थित अजय यादव के निर्माणाधीन मकान के पास तीनों बदमाश उन पर टूट पड़े थे। दो बदमाशों को अजय ने दबोच लिया। इस बीच फंसता देख तीसरे बदमाश ने अजय के सीने में गोली मार दी।
लहूलुहान हाल में अजय के जमीन पर गिरते ही बदमाश उनका मोबाइल, पर्स और सरकारी पिस्टल लूटते हुए भाग निकले। मारे गए दोनों बदमाश इस तरह के अपराध करने के अभ्यस्त थे। ऐसा माना जा रहा है कि तीनों को दारोगा के बारे में मालूम था कि वह अकेले अपने प्लाट पर जाते हैं। इसी का फायदा उठाकर तीनों बदमाशों ने दारोगा की पिस्टल लूटने की साजिश रची होगी। पुलिस के अनुसार घटना के बाद इन बदमाशों को पुलिस की घेराबंदी के चलते जिले से बाहर जाने का मौका नहीं मिला।
बिहार पुलिस को सहयोग देने के साथ जो जानकारी होगी उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी
पुलिस आयुक्त के अनुसार बदमाशों के कब्जे से बरामद मोबाइल के सीडीआर को खंगाला जाएगा। यह पता लगाया जा रहा है कि कमिश्नरेट में और कौन लोग संपर्क में थे। पनाह देने वालों पर भी कार्यवाही की जाएगी। पुलिस ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। इसके अलावा पटना से तीनों को यहां पहुंचने में किसने मदद की, इस बिंदु की भी जांच की जा रही है। बिहार पुलिस को सहयोग देने के साथ जो जानकारी होगी उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी।
दारोगा के मोबाइल को लेकर संशय
बदमाशों ने दारोगा अजय यादव के पास से उनका मोबाइल भी लूट लिया था। हालांकि मुठभेड़ में दरोगा का मोबाइल नहीं मिला। इससे यह समझा जा रहा है कि बदमाशों ने मोबाइल कहीं फेंक दिया होगा।
एक भाई हाजीपुर जेल में बंद
मुठभेड़ में रजनीश और मनीष की मौत की सूचना से परिवार में मातम छा गया। मां रेशमी देवी का रोते-रोते बुरा हाल है। लोग सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। छह भाइयों में मनीष चौथे और रजनीश पांचवें नंबर पर था। सबसे बड़े भाई रंजीत सिंह की बीमारी से मौत हो चुकी है। दूसरा भाई सरोज सिंह छत्तीसगढ़ में नौकरी करता है। तीसरा भाई लल्लन सिंह मुठभेड़ स्थल से फरार हो गया। उसकी शादी हो चुकी है। पत्नी और दो बच्चे घर पर हैं।
चौथे भाई मनीष सिंह (35) और पांचवें भाई रजनीश सिंह (32) की मुठभेड़ में मौत हो गई। छठा भाई बउआ सिंह बिदुपुर थान में दर्ज हत्या के एक मामले में हाजीपुर जेल में बंद है। पिता शिवशंकर सिंह (70) पक्षाघात के शिकार हैं। समस्तीपुर एसपी हृदयकांत ने कहा कि दोनों भाइयों के मारे जाने की सूचना मिली है। स्थानीय स्तर से दोनों के आपराधिक रिकार्ड जुटाए जा रहे हैं।
पिता समेत मनीष व लल्लन की गांव से हुई थी गिरफ्तारी
छह मार्च, 2017 को बाढ़ के बेलछी थाना क्षेत्र के बाघाटिलहा गांव के पास स्थित पंजाब नैशनल बैंक की शाखा से 60 लाख रुपये की लूट और गार्ड योगेश्वर पासवान, सुरेश सिंह और चालक अजीत यादव की हत्या में तीनों भाई आरोपित थे। इस मामले में 30 मार्च, 2017 को पटना के तत्कालीन एसपी मनु महराज ने शिवशंकर सिंह, मनीष व लल्लन को आनंदगोलवा से गिरफ्तार किया था।
पुलिस दोनों भाइयों को पटना ले गई थी। जबकि, रजनीश को स्थानीय पुलिस के पास छोड़ दिया था। उसे स्थानीय पुलिस ने छोड़ दिया था। एक साल बाद रजनीश की गिरफ्तारी मोहिउद्दीननगर थाना क्षेत्र के सिवना गांव से हुई थी। उसके घर से लूट के 45 लाख रुपये मिले थे। इस मामले में पिता शिवशंकर सिंह जमानत पर है।
सात सितंबर को बाढ़ हाजत से फरार हो गए थे तीनों भाई
बैंक लूट मामले में गिरफ्तारी के पांच वर्ष बाद तीनों भाइयों को बाढ़ उपकारा से कोर्ट में पेशी के लिए दोपहर 12 बजे लाया गया था। मामले की सुनवाई एडीजे-पंचम रवि रंजन मिश्रा के कोर्ट में होनी थी। मगर पेशी के पहले ही तीनों बाढ़ कोर्ट की हाजत से सटे शौचालय की दीवार को तोड़कर करीब तीन बजे फरार हो गए। तबसे तीनों फरार चल रहे थे।
जमीन के नीचे कैन में रखे मिले थे 45 लाख
बेलछी बैंक लूटकांड के सरगना की तलाश में स्थानीय पुलिस ने कई बार आनंदगोलवा में दबिश दी थी। गिरफ्तारी के बाद दो भाइयों से पटना में पूछताछ की गई। उसने बताया था कि घर में अमरूद के पेड़ के नीचे जमीन के अंदर कैन में 45 लाख रुपये हैं। उसकी निशानदेही पर रुपये मिले थे। इस मामले में पिता को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। उस समय से वे बाहर हैं।
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Encounter in Varanasi
वाराणसी में मुठभेड़ में दो बदमाशों की मौत के बाद जो जानकारी पुलिस को मिली वह काफी चौंकाने वाली थी। दरअसल दोनों बदमाश सगे भाई निकले।
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