बीएनपी न्यूज डेस्क। बनारस का गौरव और उसकी पहचान को बनारसी साड़ी से जोड़कर देखा जाता है। इसकी पहचान ना सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि विदेशों में भी एक विशेष महत्त्व रखता है। बनारसी उत्पाद खरीदने के लिए देशी विदेशी सैलानी भी निरंतर बनारस का भ्रमण करते रहते हैं।
कृषि के बाद टेक्सटाइल दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है जिसमें रोजगार के अवसर पैदा करता हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक 7 मिलियन बुनकर कपड़े को रंग और डिज़ाइन देता है और दूसरों की खुशियों में भी रंग भरने वाला बुनकर आज अपना पेट भरने को मजबूर है।
नोटबंदी के 7-8 महीने बाद GST को लागू कर दिया गया था बुनकर दोनों में उलझ कर रह गया उसके बाद कोविड-19 ने टेक्सटाइल सेक्टर को हाशिए पर ला दिया था। इस से भी ऊबर नहीं पाया था की सरकार ने GST पर 5% लगने वाले कर को भारत सरकार ने 1 जनवरी 2022 से 12% करने का फैसला ले लिया। जिससे टेक्सटाइल सेक्टर में निराशा की स्थिति पैदा हो गई इसके लेखा जोखा में ही उलझा दिखाई दे रहा है।
जीएसटी स्लैब में बदलाव से सीधा असर ग्राहक पर पड़ेगा अब ग्राहक को 7% महंगे कपड़े खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा आम जनता की कमाई नहीं बढ़ रही है कमरतोड़ महंगाई है सड़क पर चलना महंगा हो गया है अब आम जनता को तन ढकना भी 1 जनवरी 2022 से महंगा हो जाएगा।
2014 के बाद से टेक्सटाइल सेक्टर की अनेक योजनाओं को सरकार ने बंद कर दिया था और उत्तर प्रदेश सरकार ने 4.12.2019 में फ्लैट रेट को खत्म कर मीटर यूनिट से बुनकरों को बिजली का बिल जमा करने का शाशनदेश जारी कर दिया था। जिससे प्रदेश का बुनकर बिजली विभाग के कर्ज में डूबा हुआ है। टैक्सटाइल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए और इसकी पहचान और मांग को देश और विदेश में बढ़ाने के लिए बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिल जमा करने का शासनादेश जल्द ही लागू करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश इंडोनेशिया और वियतनाम टेक्सटाइल सेक्टर में भारत से आगे निकल गए दूसरी तरफ टेक्सटाइल सेक्टर के केंद्रीय बजट में भारत का बजट कम होता गया उदाहरण
2018-19 में 7143.73 करोड़,
2019-20 में 56.48 करोड़,
2020-21 में 3614.64 करोड़,
इससे यह मालूम होता है सरकार इस सेक्टर के प्रति उदासीन है सिर्फ मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर का नारा लगा देने से भला नहीं होने वाला है। विदेशों से आने वाले कच्चे माल पर आयात शुल्क बहुत ज़्यादा है। उत्पादन लागत बढ़ने से उत्पाद के दाम बढ़ जाते हैं हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भारत पीछे दिखाई पड़ रहा है।
टैक्सटाइल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार को GST स्लैब में 12% को कम करके 5% करने का फैसला लेना चाहिए और उत्तर प्रदेश सरकार को फ्लैट रेट व्यवस्था को बहाल करने का शासनादेश जल्द से जल्द लाना चाहिए अन्यथा कारोबार ही नहीं रहेगा तब बुनकरों के समक्ष धरना, प्रदर्शन, और आंदोलन करने के अलावा कोई रास्ता सरकार ने नहीं छोड़ा है। ओमीक्रोन महामारी और पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए भी सरकार को जीएसटी स्लैब के बढ़े दाम को वापस ले लेना चाहिए।
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