बीएनपी न्यूज डेस्क। यूपी और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी विधान सभा चुनावों से पहले जहां एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट, एम्स अस्पताल जैसे बड़े आधारभूत संरचनात्मक विकास वाली परियाजनाओं का ताबड़तोड़ शिलान्यास, आधारशिला और उद्घाटन कार्यक्रम कर रही है, वहीं विपक्षी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव यह आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी की सरकार पुरानी सरकारों की योजनाओं का फीता काट रही है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी अखिलेश यादव ने कहा है कि यह परियोजना मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, योगी आदित्यनाथ या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं। एक तरह से यह बात सही भी है लेकिन वह अदालती उलझनों में रुका हुआ था, जिसे अब जाकर क्लियर किया गया है और पीएम मोदी ने आज उसकी आधारशिला रखी हैं। दरअसल, चुनावों से पहले विकास का श्रेय हर पार्टी अपने खाते में दर्ज कराना चाहती है, इसलिए इस पर राजनीति तेज है।
पीएमओ ने कहा है, ‘‘गंगा एक्सप्रेस-वे से औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।”
क्या है मायावती से कनेक्शन
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ही सहसे पहले इस एक्सप्रेस-वे की कल्पना की थी. साल 2007 में जब मायावती ने नई सोशल इंजीनियरिंग कर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तब उन्होंने 1047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई थी, जो दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर बिहार के नजदीक बलिया तक प्रस्तावित थी लेकिन एक एनजीओ ने प्रोजेक्ट के अलाइनमेंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।
साल 2009 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इस प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया था कि यह पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के खिलाफ है. मायावती ने गंगा के किनारे-किनारे यह हाई-वे बनाने का प्रोजेक्ट बनाया था. इसके 10 साल बाद मायावती की गलती से सबक लेते हुए योगी सरकार ने जनवरी 2019 में फिर से गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने का ऐलान किया लेकिन यह गंगा के किनारों पर स्थित न होकर वहां से 10 किलोमीटर दूर बनाने का प्रस्ताव पास किया।
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