BNP NEWS DESK। inflation figures कंपनियों के तिमाही नतीजे, विदेशी निवेशकों का रुख और मुद्रास्फीति के आंकड़े इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर जारी संकट के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर भी बाजार की नजर रहेगी। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘आने वाले सप्ताह में बाजार की दिशा काफी हद तक कंपनियों के वित्तीय परिणाम पर निर्भर करेगी।
inflation figures इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और एचसीएल टेक्नोलाजीज जैसी प्रमुख कंपनियां अपने परिणाम जारी करने वाली हैं।
वृहद आर्थिक मोर्चे पर निवेशक सोमवार को जारी होने वाले सितंबर के सीपीआइ (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति-खुदरा महंगाई) और डब्ल्यूपीआइ (थोक मूल्य सूचकांक आधारित) मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर नजर रखेंगे। निवेशक वैश्विक स्तर पर जारी तनावों, विशेष रूप से कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी कोषों के रुख पर भी करीबी नजर रखेंगे। बीते सप्ताह, बीएसई सेंसेक्स 307.09 अंक गिरकर 81,381.36 पर बंद हुआ।
दूसरी ओर एनएसई निफ्टी 50.35 अंक गिरकर 24,964.25 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से बीते सप्ताह की शुरुआत गिरावट के साथ हुई, लेकिन बाद के सत्रों में नुकसान को सीमित करने में मदद मिली। इस सप्ताह बाजार में तीन आइपीओ भी आएंगे। इनमें दो एसएमई खंड के हैं। हुंडई मोटर इंडिया का आइपीओ मंगलवार को खुलेगा और गुरुवार को बंद होगा। इस आइपीओ से 27,870 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।
पूर्व में सबसे बड़े आईपीओ के चक्कर में डीएलएफ, पेटीएम, रिलायंस पावर में कमाई गंवा चुके हैं निवेशक
जब शेयर बाजार का मामला हो तो आकार पर जाना, जिंदगी की गाढ़ी कमाई गंवाने का कारण बन सकता है। यह बात आम निवेशकों को आज निश्चित तौर पर समझने की जरूरत है क्योंकि इस हफ्ते देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी हुंडई मोटर इंडिया पहली बार शेयर बाजार में उतरने जा रही है और बाजार में फिर से सबसे बड़े शेयर निर्गम का ढोल पीटा जा रहा है।
हुंडई के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) 15 को खुलेगा और कंपनी की तरफ से जो सूचनाएं दी गई हैं उसके मुताबिक इसका आकार 27,870 करोड़ रुपये का हो सकता है। निश्चित तौर पर हुंडई अभी दुनिया की तीसरी सबसे बड़े कार बाजार भारत की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी है और भारत में इसकी दीर्घकालिक रणनीति है।
इसके बावजूद यह बात याद रखी जानी चाहिए कि पूर्व में डीएलएफ लिमिटेड, रिलायंस पावर, पेटीएम जैसी कंपनियों ने अपनी-अपनी आईपीओ को देश के सबसे बड़े आइपीओ के तौर पर मार्केटिंग की लेकिन इससे ग्राहकों को भारी नुकसान ही उठाना पड़ा। इस क्रम में कोल इंडिया (आईपीओ) ही एक अपवाद नजर आता है।
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कंपनियों के तिमाही नतीजे, विदेशी निवेशकों का रुख और मुद्रास्फीति के आंकड़े इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे।
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